नई दिल्ली। अनुपमा सीरियल की शुरुआत में काव्या अनुपमा से कहती है कि तुम इतनी अच्छी थी अनुपमा, लेकिन मैंने तुम्हारी अच्छाई का फायदा उठाया। थैंक गॉड की अनुज तुम्हारी लाइफ में आ गया नहीं तो मैं तो यही सोच-सोच के मर जाती कि मेरी वजह से तुम्हारा पति छिन गया। इसको सुन के बरखा कहती है कि पहले बेचारी पति चुराने के गिल्ट में मर रही थी अब इस गिल्ट में मर रही कि कैसा पति चुरा लिया। इसके बाद काव्या कहती है कि तभी तो तुम बर्बाद होकर भी आबाद हो गई और मैं तुम्हारा घर उजाड़ कर भी अपना घर नहीं बसा पाई। इसको सुनते ही अनुपमा कहती है कि ये सब पुरानी बातें क्यों दोहरा रही हो, तब काव्या कहती है कि मैं पुरानी बातों को दोहरा नहीं रही अनुपमा बल्कि पुरानी बातें दुबारा होने से रोक रही हूं। जिसको सुनने के बाद अनुपमा कहती है क्या किसको रोक रही हो। तब काव्या कहती है कि माया को रोक रही हूं। फिर काव्या कहती है कि मैं किसी को गलत करने नहीं दूंगी मैं किसी को अब काव्या बनने नहीं दूंगी। तब सब घर वाले हैरान हो जाते है और ये सुनकर अनुपमा कहती है कि जो कहना है साफ-साफ कहो ना।
काव्या ने माया का बताया सच
तब काव्या कहती है कि पता है अनुपमा मैंने बचपन में एक कहानी सुनी थी कि एक आदमी एक नागिन को मरने से बचाया था बाद में वहीं नागिन उसको काट लेती है। बचपन में तो ये सिर्फ एक कहानी थी लेकिन अब ये हकीकत भी देख लिया, माया वो नागिन है अनुपमा जो तुम्हारी गृहस्थी को डसने की कोशिशि कर रही है। ये माया जिसे तुमने इतनी इज्जत दी, अपने घर में रखा यही माया तुम्हारे घर में रह कर तुम्हारे पति से प्यार करने लगी है। काव्या की इस बात को सुनकर सब हैरान हो जाते है। उसके बाद बा पूछती है कि इसके मन की बात तुमको कैसे पता चली जिस पर माया कहती है कि इसने खुद मुझे ये बताया। आगे माया कहती है कि मैं मानती हूं कि प्यार हो जाता है किसी को भी किसी से हो जाता है, लेकिन अपने प्यार के लिए किसी और को रुलाना पाप है और मैं ये जानती हूं क्योंकि मैं ये पाप कर चुकी हूं। इसलिए मुझे पता है कि प्यार पाया जाता है छिना नहीं जाता है। जब से मुझे ये बात पता चली मैं तब से सोच रही हूं कि सबको कैसे बताउ, और माया की हरकत देख कर मुझसे रहा भी नहीं गया क्योंकि माया ने अनुज के लिए व्रत रखा है।
माया छोटी अनु को ले जानी की कर रही जिद्द
सबकी बातें सुनकर अनुपमा माया के पास जाती है और कहती है कि सजा से पहले मैं एक मौका तुम्हें भी देना चाहती हूं। काव्या ने जो बताया, बरखा भाभी ने जो कहा, बा को जो लगा और मुझे जो महसूस हुआ वो सब मैं साइड में रखती हूं। और तुमसे साफ-साफ सीधे-सीधे पूछती हूं जिसका साफ-साफ जवाब देना। फिर अनुपमा कहती है कि क्या ये सब सच है जिस पर माया कहती है हां सब सच है। लेकिन ये सब एक तरफा है प्यार, फीलिंग, तड़प मेरी है और मेरी ही तरफ से है। अनुज को कुछ भी नहीं है जिस पर अनुपमा कहती है कि मेरे पति का नाम भी अपनी जुबान से मत लो और ना मुझे बताओ मुझे पता है मेरे अनुज ऐसा नहीं कर सकते है जिसके बाद वनराज अनुज पर सवाल उठाता है जिसका जवाब अनुपमा देती है। वहीं इन सब के बाद अनुपमा माया को घर से जाने को कहती है जिस पर माया कहती है कि मैं जाउंगी तो अपनी बेटी को साथ लेकर जाउंगी।