newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

अयोध्या फैसले को लेकर SC पर टिप्पणी करना स्वरा भास्कर के लिए बनी मुसीबत, अब होने जा रहा है ये..

बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर (Swara bhaskar) अक्सर अपने बयानों की वजह से विवादों में रहती हैं। जिसके चलते उन्हें कई बारे सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का शिकार होना पड़ता है। लेकिन इस बार एक्ट्रेस पर अवमानना की कार्यवाही (Contempt proceedings) की तैयारी हो रही है।

नई दिल्ली। बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर (Swara bhaskar) अक्सर अपने बयानों की वजह से विवादों में रहती हैं। जिसके चलते उन्हें कई बारे सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का शिकार होना पड़ता है। लेकिन इस बार एक्ट्रेस पर अवमानना की कार्यवाही (Contempt proceedings) की तैयारी हो रही है। दरअसल, उन्होंने अयोध्या (Ayodhya) में रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद विवाद (Ramjanmabhoomi-Babri Masjid dispute) मामले में उच्चतम न्यायालय (SC) के फैसले के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक बयान दिए थे।

supreme court

एक्ट्रेस के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने से पहले अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल की सहमति मांगी गई। अयोध्या में रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद विवाद मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ स्वरा ने कथित तौर पर अपमानजनक और निंदनीय बयान दिए थे। उच्चतम न्यायालय में लगाई गई याचिका में ये आरोप लगाया गया है कि स्वरा भास्कर ने ये बयान एक फरवरी 2020 को पैनल में चर्चा के दौरान दिया था। ये चर्चा ‘मुंबई कलेक्टिव’ की तरफ से आयोजित की गई थी। याचिका में दावा किया गया है कि यह बयान स्वभाव से अपमानजनक और निंदनीय है और इसका उद्देश्य अदालत को बदनाम करना है। ये संक्षिप्त प्रशंसा पाने के लिए प्रचार का एक सस्ता स्टंट है।

swara bhaskar

स्वरा का बयान-

याचिका के मुताबिक, स्वरा भास्कर ने कहा था, ”अब हम ऐसी स्थिति में हैं जहां हमारी अदालतें सुनिश्चित नहीं हैं कि वे संविधान में विश्वास करती हैं या नहीं। हम एक देश में रह रहे हैं जहां हमारे देश के सर्वोच्च न्यायालय ने एक फैसले में कहा कि बाबरी मस्जिद का विध्वंस गैरकानूनी था और फिर उसी फैसले ने उन्हीं लोगों को पुरस्कृत किया जिन्होंने मस्जिद को गिराया था।”

Swara Bhaskar

क्या कहता है कानून

अदालत की अवमानना कानून, 1971 की धारा 15 के तहत किसी व्यक्ति के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए या तो अटॉर्नी जनरल या सॉलिसीटर जनरल की सहमति जरूरी होती है।