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Writing With Fire: दलित महिला पत्रकारों पर आधारित फिल्म ऑस्कर के लिए नोमिनेट, जानें भारतीय महिलाओं के संघर्ष की कहानी

Writing With Fire: इस डॉक्यूमेंट्री में “खबर लहरिया” अख़बार के सफर के बारे में बताया गया है, जो आज से करीब 20 साल पहले शुरू हुआ था। साल 2002 में उत्तर प्रदेश के चित्रकुट में एनजीओ ने मीरा जाटव, शालिनी जोशी और कविका बुंदेलखंडी के साथ मिलकर इस अखबार की शुरुआत की थी।

नई दिल्ली। “खबरें कहां गयीं? कोई खबर दिख ही नहीं रही। जो हमारी कवरेज होगी, वो बाकी मीडिया से अलग होगी। हर किसी को पता होना चाहिए कि, हां हम पत्रकार हैं। एक महिला पत्रकार और किस तरह की पत्रकारिता हमने की है।” ये डायलॉग है, ‘‘राइटिंग विद फायर’ का, जिस डॉक्यूमेंट्री को ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया गया है। रिंटू थॉमस और सुष्मित घोष के निर्देशन में बनी डॉक्यूमेंट्री राइटिंग विद फायर (Writing With Fire) को 94वें एकेडमी अवार्ड्स की डॉक्यूमेंट्री फीचर केटेगरी में चुना गया है। दुनियाभर की कुल 138 डॉक्यूमेंट्रीज़ में से भारत की डॉक्यूमेंट्री को भी चुना गया है। इस कैटेगरी में कुल 15 फिल्में शॉर्टलिस्ट हुई हैं।

क्या है फिल्म की कहानी

‘राइटिंग विद फायर’ की कहानी दलित महिला द्वारा संचालित भारत के इकलौते अख़बार “खबर लहरिया” (Khabar Lahariya) पर आधारित है। इस डॉक्यूमेंट्री में “खबर लहरिया” अख़बार के सफर के बारे में बताया गया है, जो आज से करीब 20 साल पहले शुरू हुआ था। साल 2002 में उत्तर प्रदेश के चित्रकुट में एनजीओ ने मीरा जाटव, शालिनी जोशी और कविका बुंदेलखंडी के साथ मिलकर इस अखबार की शुरुआत की थी। मीरा जाटव, अखबार चलाने वाली महिलाओं के पूरे समूह का नेतृत्व करती हैं और अख़बार की प्रमुख रिपोर्टर हैं। ‘खबर लहरिया’ दलित महिलाओं द्वारा चलाया जाने वाला भारत का एकमात्र और अपनी तरह का पहला ग्रामीण अखबार है। शुरुआती दौर में छापाई की बजाए इस अखबार को महिलाएं खुद अपने हाथों से कागज़ों पर लिखती थी। रिडर्स की संख्या बढ़ने के साथ ही यह अखबार प्रिंट फॉम में प्रकाशित होने लगा। कंपटीशन की दुनिया में अखबार की साख को बरकरार रखने के लिए खबर लहरिया ने प्रिंट से डिजिटल में स्विच कर लिया। फिल्म में दलित महिला पत्रकारों की स्थिति को दर्शाया गया है। फिल्म में जाबज़ महिलाओं को जाति और लिंग आधारित हिंसा के शिकार लोगों को सुनकर रिपोर्ट पेश करते हुए दिखाया गया है।

देश के लिए गौरव का पल

भारतीय सिनेमा के लिए ये पल किसी गौरव से कम नहीं है। दुनिया के सबसे बड़े अवॉर्ड समारोह में भारत ने एक बार फिर अपनी जगह बनाई है। इस डॉक्यूमेंट्री को अतंरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। अब इस डॉक्यूमेंट्री को ऑस्कर अवार्ड मिलने की भी उम्मीद जताई जा रही है।