newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Prithviraj Postponed: ओमिक्रॉन के मामले बढ़ने के बीच अक्षय कुमार की ‘पृथ्वीराज’ की रिलीज टली

Prithviraj Postponed: “फिल्म की अगली तारीख ओमिक्रॉन की स्थिति देखते हुए की जाएगी।” भारत में मामलों में वृद्धि के बीच सख्त नियम लागू किए गए हैं और नई दिल्ली में सिनेमाघरों को बंद करने का फैसला किया गया है।

मुंबई। अक्षय कुमार की नई फिल्म ‘पृथ्वीराज’ 21 जनवरी को रिलीज होने वाली थी, लेकिन भारत में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के मामलों में उछाल के बीच फिल्म की रिलीज को टाल दिया है। एक सूत्र ने कहा, “आपके पास एक ब्लॉकबस्टर फिल्म है जो देशभर में दर्शकों को पसंद आएगी, तो आप उसके साथ इतना बड़ा रिस्क नहीं ले सकते हैं। ‘पृथ्वीराज’ तब रिलीज होनी चाहिए जब सिनेमाघर दर्शकों से खचाखच भरे हो। अगर ये अभी रिलीज होगी तो ये अपना उद्देश्य पूरा नहीं कर पाएगी। हमें इंतजार करना चाहिए क्योंकि ये जब रिलीज होगी तो बॉक्स-ऑफिस पर तहलका मचाएगी।”

prithviraj akshay kumar

“फिल्म की अगली तारीख ओमिक्रॉन की स्थिति देखते हुए की जाएगी।” भारत में मामलों में वृद्धि के बीच सख्त नियम लागू किए गए हैं और नई दिल्ली में सिनेमाघरों को बंद करने का फैसला किया गया है। सूत्र ने आगे कहा, “हर कोई ‘पृथ्वीराज’ को बॉक्स-ऑफिस पर देखना चाहता है और इसके लिए इंतजार करना होगा।” चंद्रप्रकाश द्विवेदी द्वारा निर्देशित ‘पृथ्वीराज’ पूर्व मिस वर्ल्ड मानुषी छिल्लर की डेब्यू फिल्म है।

विवादों में फंसी अक्षय की फिल्म ‘पृथ्वीराज’, भड़का गुर्जर समुदाय

इससे पहले राजस्थान में गुर्जर समाज ने अक्षय कुमार की फिल्म ‘पृथ्वीराज’ की स्क्रीनिंग रोकने की धमकी दी थी। गुर्जर समाज का कहना था कि अगर पृथ्वीराज चौहान के लिए ‘राजपूत’ शब्द इस्तेमाल किया जाता रहेगा तो वे इस फिल्म को रिलीज़ नहीं होने देंगे। समाज का दावा था कि पृथ्वीराज चौहान एक गुर्जर राजा थे, राजपूत नहीं। हालांकि, राजपूत समाज के नेताओं ने उनके इस दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया।

prithviraj akshay kumar

इस बारे में श्री राजपूत करणी सेना के राष्ट्रीय प्रवक्ता विजेंद्र सिंह शक्तावत ने कहा कि गुर्जर शुरू में गौचर थे, जो बाद में गुज्जर और फिर गुर्जर में बदल गए। वे मूल रूप से गुजरात से आते हैं इसलिए उन्हें ये नाम मिला है। यानी ये जगह से संबंधित शब्द है न कि किसी जाति से। तो वहीं दूसरी तरफ गुर्जर नेता हिम्मत सिंह ने कहा कि पृथ्वीराज रासो महाकाव्य को 16वीं शताब्दी में लिखा गया था, जो कि पूरी तरह काल्पनिक है। ये महाकाव्य चंद्रबरदाई ने प्रिंगल भाषा में लिखा था, जो बाजरा और राजस्थानी भाषाओं का मिश्रण है। गुर्जर सम्राट पृथ्वीराज चौहान के शासन काल में प्रिंगल भाषा का नहीं बल्कि संस्कृत का इस्तेमाल किया जाता था। हिम्मत सिंह ने आगे कहा कि ऐतिहासिक सबूतों के मुताबिक तेरहवीं शताब्दी से पहले राजपूत कभी अस्तित्व में नहीं थे। हमने इन तथ्यों को साबित कर दिया है और मौजूदा समय में राजपूत जाति के लोगों ने भी इसे मान लिया है।