newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Survey: पीएम मोदी के मुकाबले कितने मजबूत हैं नीतीश, ममता और केजरीवाल? ताजा सर्वे के नतीजों में जानिए सबका हाल

साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए अभी से विपक्षी दल तैयारी कर रहे हैं। बिहार के सीएम नीतीश कुमार लगातार विपक्षी दलों को एकजुट कर पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ बड़ा और मजबूत संगठन बनाने की कोशिश में जुटे हैं। क्या इससे मोदी और बीजेपी को नुकसान होगा? इस सवाल का जवाब न्यूज चैनल ‘एबीपी न्यूज’ और ‘सी-वोटर’ C-Voter के सर्वे में मिला है।

नई दिल्ली। साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए अभी से विपक्षी दल तैयारी कर रहे हैं। बिहार के सीएम नीतीश कुमार लगातार विपक्षी दलों को एकजुट कर पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ बड़ा और मजबूत संगठन बनाने की कोशिश में जुटे हैं। क्या इससे मोदी और बीजेपी को नुकसान होगा? इस सवाल का जवाब न्यूज चैनल ‘एबीपी न्यूज’ और ‘सी-वोटर’ C-Voter के सर्वे में मिला है। इस सर्वे के नतीजे मोदी और बीजेपी विरोधी विपक्षी दलों के लिए गंभीर चिंता का विषय हो सकते हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार चीन के मुद्दे पर पीएम मोदी को घेरते रहे हैं। बीते दिनों लद्दाख के पीपी-15 इलाके में चीन की सेना पीछे हटी है। सर्वे में पूछा गया कि इससे भारत की साख पर क्या असर हुआ? सर्वे में 51 फीसदी ने बताया कि भारत की साख इससे बढ़ी। जबकि, 29 फीसदी ने साख घटने की बात कही।

mamata kcr rahul and nitish

एक सवाल भारत के 5वीं बड़ी अर्थव्यवस्था पर पूछा गया। लोगों से सवाल था कि क्या भारत विश्वशक्ति बनने की राह पर है? इस पर 64 फीसदी ने हां और 36 फीसदी ने नहीं में जवाब दिया। एक और सवाल था कि विपक्ष की तरफ से पीएम पद के लिए किस नाम पर सहमति बन सकती है? इसके जवाब में 23 फीसदी ने राहुल, 18 फीसदी ने अरविंद केजरीवाल, 12 फीसदी ने नीतीश कुमार और 6 फीसदी ने ममता बनर्जी का नाम लिया। जबकि, 29 फीसदी ने कहा कि किसी नाम पर सहमति नहीं बनेगी। सर्वे में ये सवाल भी था कि बिहार में आरजेडी से गठबंधन और बढ़ते अपराध से नीतीश कुमार की छवि पर क्या असर पड़ा? इस पर 54 फीसदी लोगों ने कहा कि नीतीश की छवि खराब हुई। वहीं, 26 फीसदी ने छवि अच्छी होने की बात कही।

owaisi

एबीपी न्यूज और सी-वोटर के सर्वे में ये भी पूछा गया कि क्या ज्ञानवापी और मदरसों के सर्वे के मामलों में एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी के बयान भड़काऊ हैं? इस सवाल पर 70 फीसदी ने कहा कि ओवैसी ने भड़काऊ बयान दिए। जबकि, 30 फीसदी ने इससे इनकार किया। एक सवाल ये भी पूछा गया कि क्या संघ की निक्कर को आग लगाने वाली तस्वीर जारी कर कांग्रेस ने उकसावे की सियासत की? इस पर 60 फीसदी ने कहा कि ये उकसावे की सियासत थी। 40 फीसदी ने इसे उकसावे की सियासत मानने से इनकार किया। सर्वे में लोगों से ये भी पूछा गया कि क्या 2024 के लोकसभा चुनाव में अयोध्या, काशी और मथुरा के धर्मस्थलों का मुद्दा असर डालेगा और इससे क्या फायदा होगा? इस सवाल के जवाब में 60 फीसीदी लोगों ने कहा कि इस मुद्दे से फायदा होगा।