लखनऊ। ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में अकेले टीएमसी को सभी लोकसभा सीटों पर लड़ाने का फैसला किया। फिर आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल ने पंजाब में सभी 13 लोकसभा सीटों पर अपनी पार्टी को लड़ाने की बात कही। इसके अलावा दिल्ली की 7 में से सिर्फ 1 लोकसभा सीट कांग्रेस को देने का एलान किया। इससे विपक्ष के इंडिया गठबंधन में रार की स्थिति दिख रही है। वहीं, यूपी में भी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे पर खींचतान जारी है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस के लिए 11 सीटें छोड़ने की बात कही थी। इससे कांग्रेस के नेता सहमत नहीं थे। इसके बाद फिलहाल यूपी की 80 लोकसभा सीटों के बंटवारे का मसला समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच फंसा नजर आ रहा है।
हिंदी अखबार अमर उजाला की खबर के मुताबिक यूपी में कांग्रेस अपनी पहली वरीयता वाली सीटें छोड़ने को राजी नहीं है। कांग्रेस ने वरीयता को 3 हिस्सों में बांटा है। पहली वरीयता यूपी की उन लोकसभा सीटों पर है, जो कांग्रेस ने 2009 और 2014 में जीती थीं। इसके अलावा नगर निकाय चुनाव में जहां कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया, वो सीटें भी पार्टी चाहती है। अखबार के मुताबिक कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी से 30 सीटें देने के लिए कहा। वहीं, कांग्रेस की मांग वाली तमाम सीटें ऐसी हैं, जिन पर समाजवादी पार्टी अपने प्रत्याशियों का एलान कर चुकी है। अखबार ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि समाजवादी पार्टी की तरफ से कांग्रेस को यूपी में 20 लोकसभा सीटों का प्रस्ताव दिया गया है। इनमें तमाम सीटें ऐसी हैं, जिन पर कांग्रेस का कोई जनाधार ही नहीं है और कांग्रेस ने इसी वजह से इनको लेने से इनकार कर दिया है।
ऐसे में बंगाल, पंजाब और दिल्ली की तरह यूपी में भी इंडिया गठबंधन की राह में पेच फंसता दिख रहा है। लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान अगले महीने के दूसरे हफ्ते तक होने की संभावना है। इससे पहले अगर यूपी की लोकसभा सीटों के मसले पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में समझौता न हुआ, तो इससे सबसे ज्यादा सीटों वाले इस राज्य में इंडिया गठबंधन छिन्न-भिन्न हो सकता है। देखना ये है कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी इस अहम मसले को कैसे सुलझाते हैं और यूपी की लोकसभा सीटों का बंटवारा होता है या नहीं।