नई दिल्ली। चीन की दादागिरी पर लगाम लगाने के लिए भारत हर मुमकिन कोशिश कर रहा है। कभी सीमा पर सैनिकों की तैनाती बढ़ाकर, तो कभी अपनी मारक क्षमता बढ़ाने के मकसद से खुद को अत्याधुनिक हथियारों से सुसज्जित करके। चीन हमारे लिए सीमा के साथ-साथ समुद्री परिधि पर भी भारतीय सुरक्षाबलों के लिए चुनौतियां पैदा करता दिख रहा है, जिसको ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना खुद को हर मोर्चे पर सबल करने की कोशिश में जुटा हुआ है। अब इसी बीच चीन की इन्हीं संदिग्ध गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए भारतीय वायुसेना के बेडे में गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर को शामिल किया गया है। इससे भारतीय सेना के मारक क्षमता में जबरदस्त इजाफा दर्ज किया गया है। वहीं, भारत का दूसरा एयरक्राफ्ट अभी समुद्री ट्रायल से गुजर रहा है।
जब इसका समुद्री परीक्षण सफल हो जाएगा, तब इसे सुरक्षा बेडे में शामिल किया जाएगा, लेकिन चीनी नौसेना की मारक क्षमता को बौना साबित करने के लिए अभी हमें और मेहनत करनी होगी। अभी हम चीनी नौसेना की मारक क्षमता के आगे बहुत पिछड़े हुए हैं। लिहाजा हमें खुद को सबल बनाने की दिशा में और काम करना होगा, लेकिन अभी हाल ही में शामिल हुआ ये एयरकॉफ्ट हमारे नौसेना की मारक क्षमता को बढ़ाने में कारगर साबित हो सकता है। यहां हम आपको बताते चले कि बीजिंग के नौसेना के सुरक्षा बेडे में दो एयरकॉफ्ट हैं और बाकी के दो एयरकॉफ्ट बनाने में लगा हुआ है। इसके अलावा चीनी नौसेना के पास कई ऐसे हथियार हैं, जो कहीं न कहीं भारतीय नौसेना के लिए चुनौती पैदा कर सकती है, लिहाजा भारत को एक ऐसी रूपरेखा तैयार करनी होगी, जो चीन को मंहतोड़ जवाब देने में कारगर साबित हो सकें।
Yet another testament of impetus given by Govt of India & the Navy towards #indigenous warship constn programmes.#Visakhapatnam – #first of the indigenous P15B stealth Guided Missile destroyers being built at #MazagonDock, #Mumbai delivered to #IndianNavy on 28 Oct 21.
(1/2). pic.twitter.com/sECvXvhl4R— SpokespersonNavy (@indiannavy) October 30, 2021
यहां हम आपको बताते चले कि डिस्ट्रॉयर उन चार 7,400 टन वजनी स्टेल्थ डिस्ट्रॉयर्स में से एक हैं। साल 2011 में इसका अनुबंधन मिला था, जो जाकर पूरा किया जा रहा है। दो बाल इसे विशाखापट्टनम के आईएनएस में रखा जाएगा। इसके अलावा इसे तीन और डिस्टॉयर्स सूरत, मुरगांव और इम्फाल में भेज दिया जाएगा। इन मिसाइलों को तैयार करने में कुल 35 हजार करोड़ रूपए की लागत आई है। ऐसे में अब इसका भारतीय नौसेना की मारक क्षमता में क्या कुछ असर पड़ता है। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा।
समुद्र में बादशाहत कायम करने की जद्दोजहद
चीन अब सीमा के साथ-साथ समुद्र में भी अपनी बादशाहत स्थापित करने की जंग में मसरूफ हो चुका है। डिस्ट्रॉयर्स बड़े जंगी जहाजों की फेहरिस्त में शुमार है। इसकी मारक क्षमता का अंदाजा आप महज इसी से लगा सकते हैं कि एक दिन में 500 नॉटिकल मील से ज्यादा की दूरी तय करने में सक्षम इन तैरते एयरबेसेज से ताकतवर आक्रमण किया जा सकता है और दुनिया को अपनी सैन्य ताकत का दम दिखाया जा सकता है।