नई दिल्ली। अमेठी स्थित शस्त्र फैक्ट्री AK-203 असॉल्ट राइफल का निर्माण शुरू करने हेतु इस वर्ष के अंत तक परिचालन प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। इंडो रशियन राइफल्स, एडवांस्ड वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया (पूर्ववर्ती ओएफबी) और रशियन रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के बीच एक संयुक्त उद्यम तीन वर्षों में पूर्ण पैमाने पर विनिर्माण क्षमता हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, पश्चिमी देशों के प्रतिबंध की वजह से भुगतान संबंधी और जटिल तकनीक हस्तांतरण जैसी दुश्रारियों को झेलने के बावजूद भी संयुक्त उद्दम अब उपरोक्त शस्त्रों का निर्माण करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। हालांकि, कलाश्निकोव पहले ही रूस में बनी एके-203 असॉल्ट राइफल्स के ऑर्डर के तहत 70,000 राइफलों का एक बैच डिलीवर कर चुका है। अधिकारियों ने कहा कि वे इस परियोजना को आगे बढ़ाने में कोई बाधा नहीं मानते हैं और सभी आवश्यक उपकरण शीघ्र ही भारत भेजे जाने के लिए तैयार हैं।
आपको बता दें कि रूस से अभियंताओं के एक दल ने भारत आकर कर्मियों को प्रशिक्षित कर दिया है और उन्हें समझा दिया है कि कैसे वे आगामी दिनों में उपरोक्त सस्त्रों का निर्माण करेंगे। परियोजना में छोटी-मोटी अड़चनें, जैसे कि तत्कालीन आयुध निर्माणी बोर्ड द्वारा निर्मित दोषपूर्ण गोला-बारूद का एक बैच, जो कुछ हथियार प्रणालियों को विफल कर देता है, को ठीक कर दिया गया है और एक विश्वसनीय गोला-बारूद निर्माता की पहचान की गई है। अधिकारियों ने कहा कि रूसी कंपनी ने समायोज्य स्टॉक और जगहें जैसे विकल्पों को शामिल करने के लिए राइफल्स के कई उन्नयन का भी प्रस्ताव दिया है, लेकिन उन्हें अभी तक पैकेज में शामिल नहीं किया गया है और बाद में एक ऐड के रूप में आ सकता है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अमेठी स्थित शस्त्र फैक्ट्री आगामी वर्षों में सैनिकों के लिए 6 लाख राइफल्स का निर्माण करेगी। इनके लिए आर्मी एक ग्राहक के रूप में रहेंगे। भारत और रूस के बीच पिछले दिसंबर में 5,124 करोड़ रुपये का समझौता हुआ था। यह हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच सबसे बड़ा रक्षा सौदा है। इस सौदे में पूर्ण प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए एक खंड है। राइफल्स को मित्र देशों को भी निर्यात किया जाएगा।