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अरब ने तब्लिगी जमात के खिलाफ लिया कड़ा एक्शन, कहा- इन्हें देश में आने मत देना, क्योंकि इन लोगों ने…!

tablighi jamaat: कुछ लोग इस बात को लेकर भी हैरानी जता रहे हैं कि आखिर मुस्लिम बहुल राष्ट्र अरब कैसे किसी मुस्लिम संगठन के खुद के देश में आने पर रोक लगा सकता है, तो वहीं कुछ लोगों का यह कहना है कि इस पूरे मसले को मजबही चशमे से नहीं, बल्कि सही और गलत के चश्मे से देखा जाए, तो उससे साफ जाहिर होगा।

नई दिल्ली। साल 2020, जब कोरोना का कहर अपने शबाब पर था। लोगों की आमद से गुलजार गलियां वीरान हो चुकी थी। मुस्कुराहटों के लिबास में लिपटी जुबां खामोश हो चुकी थीं। इस वायरस का खौफ इतना था कि दरख्तों को अपना आशियाना समझने वाले परिंदे भी पर मारने से गुरेज किया करते थे। आले दर्जे के डिग्री धारक चिकित्सकर्मियों की लियाकत भी कोरोना के कहर के आगे दम तोड़ती नजर आ रहे थी। बेशक सरकार समेत चिकित्सकों ने कोरोना के कहर पर विराम लगाने की दिशा में पूरी कोशिश की और आज ये उसी का नजीता है कि हम सलामती के लिबास में लिपट कर सुकून के पल गुजार रहे हैं। हालांकि चुनौतियों का अंबार आज भी हमारी चौखटों पर मुस्तैद है, लेकिन हालात पहले से कई गुना बेहतर हैं, लेकिन उस वक्त कुछ ऐसे लोग थे, जिन्होंने कोरोना के कहर पर विराम लगाने की दिशा में जारी किए गए सरकारी फरमानों की नाफरमानी करने में कोई गुरेज नहीं किया था। उन्हीं में से एक तब्लिगी जमात भी था।

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जी हां…यह वही तब्लिगी जमात है, जिसने सरकारी फरमानों को धता बताते हुए कोरोना के मामलों में जबरदस्त इजाफा किया था। जिसे देखते हुए उस वक्त भारत सरकार ने इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की थी और इन्हीं कड़ी कार्रवाइयों का नतीजा रहा था कि केंद्र सरकार की तरफ साल 2020 जून में इनके भारत आने पर ही रोक लगा दी थी। इस फैसले को उस वक्त अलग-अलग चश्मे से देखा गया था। कुछ ने विरोध किया तो कुछ ने समर्थन, लेकिन अब इसी बीच खबर है कि मुस्लिम बहुल देश अरब ने भी तब्लिगी जमात को अपने यहां आने पर रोक लगा दी है। शायद आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अरब सरकार ने अपने सभी मौलनाओं को फरमान जारी कर कह दिया है कि हर शुक्रवार को मस्जिद से तब्लिगी जमातियों के देश में आने पर रोक लगा दी गई है, ऐसे मुनादी की जाए, ताकि सभी लोग इस सरकारी फरमानी से वाकिफ हो सकें।

वहीं, कुछ लोग इस बात को लेकर भी हैरानी जता रहे हैं कि आखिर मुस्लिम बहुल राष्ट्र अरब कैसे किसी मुस्लिम संगठन के खुद के देश में आने पर रोक लगा सकता है, तो वहीं कुछ लोगों का यह कहना है कि इस पूरे मसले को मजहबी चशमे से नहीं, बल्कि सही और गलत के चश्मे से देखा जाए, तो उससे साफ जाहिर होगा कि अरब सरकार द्वारा लिया गया गया निहायती वाजिब है और अगर बावजूद इसके अपनी लियाकत पर गुमान करने वाले लोग अरब सरकार के फैसले की मुखालफत करेते हैं, तो वो इससे खुद की जहालियित को जगजाहिर करेंगे। खैर, थोड़ा अतीत में चलते हुए आपको इस संगठन द्वारा किए गए कुछ खताओं के बारे में बताते हैं।

वहीं, भारत के परिपेक्ष्य से देखा जाए, तो इस संगठन की स्थापना 1926 में हुई थी। यह सुन्नी मुस्लिमों की संस्था है। जो एक आंदोलन का नतीजा रहा है। देश-दुनिया के मुस्लिम इस संगठन से जुड़े हुए हैं और समय-समय पर इस पर अपनी भागीदारी दिखाते रहते हैं। बता दें कि साल 2020 में मरकज में आयोजित किए गए मजहबी जलसे के दौरान कुल 67 देशों के मुस्लिम नुमाइंदों ने कोरोना के कहर को दरकिनार करते हुए अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी जिसे लेकर काफी मुखालफत भी देखी गई। खैर, अब इसे नाफरमानी नहीं तो और क्या कहें कि टुरिस्ट वीजा के सहारे भारत में भारत में कदम रखने वाले इन 67 देशों के मुस्लिमों ने मजहबी कार्यक्रम में शिरकत करने जैसी खता की, जो कि नियमों की धज्जियां उड़ाने जैसा था।