newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Ayodhya: हनुमानगढ़ी पहुंचे रामनाथ कोविंद, बजरंगबली के पूजन के बाद करेंगे रामलला के दर्शन

Ayodhya: भगवान राम ने हनुमान को अयोध्या में ऊंचाई वाला एक स्थान दिया। यहां पर एक छोटा किला भी था, जिसमें हनुमान जी रहने लगे और इस वजह से ही इस जगह का नाम हनुमानगढ़ी पड़ा था। बता दें कि इससे पहले रामायण कॉन्क्लेव का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति ने लोगों को संबोधित भी किया था।

नई दिल्ली। रामकथा पार्क में रामायण कॉन्क्लेव का उद्घाटन करने के बाद अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हनुमानगढ़ी पहुंचे हैं। जहां वह बजरंगबली का पूजन करने के बाद रामलला के दर्शन-पूजन के लिए जाएंगे। राम मंदिर का शिलान्यास करने से पहले पीएम मोदी भी पहले हनुमानगढ़ी ही पहुंचे थे और बजरंगबली का आशीर्वाद लिया था। कहते हैं कि ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने हनुमान को अयोध्या में ऊंचाई वाला एक स्थान दिया। यहां पर एक छोटा किला भी था, जिसमें हनुमान जी रहने लगे और इस वजह से ही इस जगह का नाम हनुमानगढ़ी पड़ा था। बता दें कि इससे पहले रामायण कॉन्क्लेव का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति ने लोगों को संबोधित भी किया था।

राष्ट्रपति ने इस मौके पर कहा कि, रामायण ऐसा विलक्षण ग्रंथ है जो रामकथा के माध्यम से विश्व समुदाय के समक्ष मानव जीवन के उच्च आदर्शों और मर्यादाओं को प्रस्तुत करता है। मुझे विश्वास है कि रामायण के प्रचार-प्रसार हेतु उत्तर प्रदेश सरकार का यह प्रयास भारतीय संस्कृति तथा पूरी मानवता के हित में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि, रामायण ऐसा विलक्षण ग्रंथ है जो रामकथा के माध्यम से विश्व समुदाय के समक्ष मानव जीवन के उच्च आदर्शों और मर्यादाओं को प्रस्तुत करता है। मुझे विश्वास है कि रामायण के प्रचार-प्रसार हेतु उत्तर प्रदेश सरकार का यह प्रयास भारतीय संस्कृति तथा पूरी मानवता के हित में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।

‘राम के बिना अयोध्या, अयोध्या है ही नहीं’

रामनगरी पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि, राम के बिना अयोध्या, अयोध्या है ही नहीं। अयोध्या तो वही है, जहां राम हैं। इस नगरी में प्रभु राम सदा के लिए विराजमान हैं। इसलिए यह स्थान सही अर्थों में अयोध्या है। अयोध्या का शाब्दिक अर्थ है, ‘जिसके साथ युद्ध करना असंभव हो’। रघु, दिलीप, अज, दशरथ और राम जैसे रघुवंशी राजाओं के पराक्रम व शक्ति के कारण उनकी राजधानी को अपराजेय माना जाता था। इसलिए इस नगरी का ‘अयोध्या’ नाम सर्वदा सार्थक रहेगा। रामायण में दर्शन के साथ-साथ आदर्श आचार संहिता भी उपलब्ध है जो जीवन के प्रत्येक पक्ष में हमारा मार्गदर्शन करती है। उन्होंने कहा कि, निषादराज के साथ प्रभु राम का गले मिलना और उन दोनों का मार्मिक संवाद, समरसता, सौहार्द और प्रेम की उत्कृष्टता का अनुभव कराता है। गांधीजी ने आदर्श भारत की अपनी परिकल्पना को रामराज्य का नाम दिया है। बापू की जीवन-चर्या में राम-नाम का बहुत महत्व था।