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Kushinagar: BJP की जीत की खुशी में बाबर ने बांटी मिठाई, तो बिफरे रिश्तेदारों ने ले ली जान  

अगर आपको ऐसा लगता है कि आपको हमारे देश में अपने मनपसंद नेता को चुनने का अधिकार है, तो हमें यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि आप अपने जेहन में मुगालते पाल बैठे हैं। जी बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं। नहीं हैं हमारे देश में किसी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है।

नई दिल्ली। ज़रा सोचिए और बताइए कि अगर आपके पास किसी भी मसले पर बेबाक राय रखने की स्वतंत्रता न हो तो आप कैसा महसूस करेंगे। कैसा महसूस करेंगे आप जब आपके पास सरकार की गतिविधियों की आलोचना करने का अधिकार न हो, या आपके पास अपने मनपसंद नेता को वोट देने का अधिकार न हो, या आपके पास  सरकार की किसी फैसले की प्रशंसा करने का अधिकार न हो। अगर हम गलत नहीं हैं, तो शायद उक्त कथन को वास्तविकता के आईने से देखकर आपकी रूह कांप गई होगी और आप यह सोचकर सुकून की सांस लेने में मशगूल हो गए होंगे कि चलिए  हमारे देश भारत में तो कम से कम ऐसा नहीं है। हम यहां सरकार के किसी भी फैससे की आलोचना कर सकते हैं, प्रशंसा कर सकते हैं, अपने मनपसंद नेता को चुन सकते हैं, तो ठहरिए, अगर आप भी ऐसा सोचकर सुकून की सांस ले रहे हैं, तो रूकिए, बंद कर दीजिए और छोड़ दीजिए सुकून की सांस लेना।

BABAR

अगर आपको ऐसा लगता है कि आपको हमारे देश में अपने मनपसंद नेता को चुनने का अधिकार है, तो हमें यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि आप अपने जेहन में मुगालते पाल बैठे हैं। जी बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं आप। नहीं हैं हमारे देश में किसी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है। नहीं है हमारे देश में किसी को भी अपना मनपसंद नेता चुनने का अधिकार है। नहीं है हमारे देश में किसी को अपने मनपसंद नेता के नाम तारीफों के कसीदे पढ़ने का अधिकार। जी बिल्कुल…ठीक पढ़ रहे हैं आप… नहीं है… और नहीं… अगर होती है तो बाबर को उसके ही परिजनों ने बेरहमी से मौत के घाट न उतारा होता। अगर हमारे  देश में होती किसी के पास अपने मनपसंद नेता को चुनने का अधिकार तो बाबर आज हमारे बीच होता है। खेल रहा होता है, मुस्कुरा रहा होता। अपने बेहतर भविष्य के कल्पनाओं के सैलाब में सराबोर होता।

अरे ठहरिए साहब…इससे पहले की आप गलतफहमी के सैलाब में सराबोर हो जाए। उससे पहले आप यह जान लीजिए कि वो कोई इतिहास का विध्वंसक बाबर नहीं था, बल्कि ये तो पीएम मोदी मुरीद था और योगी का प्रशंसक और बीजेपी का समर्थक। बीजेपी के विचाराधाओं के पक्ष में सुर से सुर मिलाते हुए बाबर अपनी बेबाक राय रखता था, लेकिन अफसोस कुछ लोगों को उसकी उसी राय से नाराजगी थी। और वो लोग कोई और नहीं, बल्कि  उसके अपने ही घर के लोग थे। बता दें कि अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की बंपर जीत पर खुशी का इजहार करते हुए बाबर ने मिठाई थी। उसे खुशी थी इस बात से की एक बार फिर यूपी में योगी राज आया है। उसे खुशी थी इस बात से कि एक बार फिर से यूपी में बीजेपी की जीत हुई है, लेकिन उसके रिश्तेदारों को ये बात गवारा नहीं लगी और उन्होंने बाबर की इतनी पिटाई की कि उसने अस्पताल में उपचार के दौरान ही दम तोड़ दिया।