
नई दिल्ली। भगोड़े आर्थिक कारोबारी विजय माल्या की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। माल्या ने अपनी इस याचिका में खुद को भगोड़ा घोषित करने की प्रक्रिया को खारिज करने की मांग की थी। बता दें कि साल 2018 में मुंबई कोर्ट ने माल्या को भगोड़ा घोषित करने की प्रक्रिया को शुरू करने का निर्देश दिया था, जिसे ध्यान में रखते हुए माल्या ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वहीं, इस संदर्भ में माल्या के वकील ने कोर्ट को बताया कि वो काफी लंबे समय से संपर्क में नहीं हैं, जिसे ध्यान में रखते हुए वो अभी कोई जिरह नहीं कर सकते हैं। बता दें कि इससे पहले भी माल्या से संबंधित कई मुकदमों को खारिज किया जा चुका है। हालांकि, 2019 में ईडी की अदालत माल्या को पहले ही भगोड़ा घोषित कर चुकी है।
वहीं, कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता का वकील कह रहा है कि याचिकाकर्ता उन्हें निर्देश नहीं दे रहा है। इसी बयान के मद्देनजर उनकी यह याचिका खारिज कर दी जाती है। इससे पहले ईडी पहले ही माल्या को भगोड़ा घोषित कर चुकी है। बता दें कि धनशोधन मामले के तहत ईडी को किसी भी आरोपी की संपत्तियों को जब्त करने सहित उसे भगोड़ा घोषित करने की शक्तियां निहित है। आइए, अब आगे आपको जरा पूरा माजरा विस्तार जानते हैं।
आपको बता दें कि साल 2016 में माल्या विभिन्न बैंकों से लोन ले चुका है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अलग-अलग बैंकों से कुल 9 हजार रुपए का लोन लेकर विदेश फरार है। जिस वक्त उसने यह लोन लिया था, उस किंगफिशर की कमान उसी के हाथों में थी। कई बार कोर्ट की ओर से उसे समन भी जारी किया गया था, लेकिन उसकी तरफ से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त की गई थी। यही नहीं, कोर्ट की अवमानना को ध्यान में रखते हुए उसे चार माह की सजा भी सुनाई गई थी।