नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह मामले में महाराष्ट्र सरकार को बड़ा झटका दिया है। पुलिस अधिकारियों और सरकार पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को नजरअंदाज करते हुए इस मामले की जांच CBI को सौंप दी। सुप्रीम कोर्ट में मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को CBI को सौंपने को लेकर एक याचिका दायर की गई थी, जिसपर सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि ‘किसी भी जांच के लिए राज्य की सहमति आवश्यक है। सरकारी वकील ने दलील देते हुए कहा कि CBI जांच से पुलिस के मनोबल पर प्रभाव पड़ेगा, साथ ही उन्होंने सरकार का पक्ष रखते हुए ये भी कहा कि ‘महाराष्ट्र सरकार सीबीआई जांच के पक्ष में जरा भी नहीं है।’ वकील ने आगे कहा कि ‘कोर्ट के सामने ऐसे किसी भी प्रकार के तथ्य नहीं रखे गए, जो ये साबित कर सकें कि जांच सही तरीके से नहीं हो रही है। ये केवल आरोप मात्र हैं।’
सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार के वकील ने दलील दी कि ‘परमवीर सिंह कई-कई महीने फरार रहता है, सुप्रीम कोर्ट द्वार उसे प्रोटेक्शन देने पर ही वो सामने आता है, ऐसे व्यक्ति की याचिका पर मामले को स्थानांतरित करना कतई सही नहीं है।’ वहीं कोर्ट ने कहा कि ‘ इस बात की जरा भी पक्षधर नहीं है कि हर मामला सीबीआई के पास जाए।’ उन्होंने आगे कहा कि ‘जांच एजेंसी पर बेवजह बोझ क्यों डाला जाए?’ इसके अलावा उन्होंने ये भी सवाल किया कि ‘जो कुछ हो रहा है, उससे अधिक संदिग्ध क्या हो सकता है? कोर्ट ने कहा कि ‘ये बहुत चिंता का विषय है कि पुलिस और मंत्रालय के आला अधिकारी एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। इससे साफ नजर आ रहा है कि जनता का भरोसा किस तरह से कम हुआ है। हर केस सीबीआई को सौंपने के पक्ष में न होते हुए भी जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को एक हफ्ते के अंदर पांचों एफआईआर से संबंधित सारे दस्तावेजों और सबूतों को सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया।
गौरतलब है, कि परमबीर सिंह के वकील पुनीत बाली ने कहा कि ‘मेरे पास एक टेलीफोनिक बातचीत है, जिसे मैंने रिकॉर्ड में रखा है। इस रिकॉर्डिंग में एक जिम्मेदार व्यक्ति कहते सुने जा सकते हैं कि बॉम्बे हाईकोर्ट में चल रहे मामले को वापस ले लो, अपने राजनीतिक आकाओं के साथ खेल मत खेलो। मैंने इस बारे में फौरन सीबीआई को सूचित किया और उन्हें बताया कि उनकी जांच में बाधा डालने की कोशिश की जा रही है।’