नई दिल्ली। जातीय जनगणना के मामले में बिहार सरकार को बड़ी जीत मिली है। दरअसल, पटना हाईकोर्ट ने आज सुनवाई के दौरान उन सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया, जो कि बिहार सरकार के जातीय जनगणना कराए जाने के फैसले के खिलाफ दाखिल की गई थीं। बता दें कि कोर्ट में बिहार सरकार के फैसले के खिलाफ कुल 6 याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिन्हें अब खारिज कर दिया गया है। वहीं, कोर्ट में सुनवाई के दौरान बिहार सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सरकारी योजनाओं का फायदा उठाने की वजह से सभी लोग अपनी जाति बताने के लिए उत्तेजित हैं। बिहार सरकार ने कोर्ट में कहा कि वर्तमान में ओबीसी को 20 फीसद आरक्षण, एससी/एसटी को 16 फीसद आरक्षण दिया जा रहा है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में स्पष्ट कर चुकी है कि जाति के आधार पर संविधान में 50 फीसद तक आरक्षण दिए जाने का प्रावधान है। वहीं, नगर निकाय और पंचायत चुनाव में 13 फीसद आरक्षण दिए जाने का प्रावधान है। सरकार की तरफ से कोर्ट में पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि सामाजिक स्थिति का आकलन करने के लिए जातिगत जनगणना जरूरी है।
Patna High Court dismissed the petitions challenging Bihar Government’s Caste based survey. pic.twitter.com/dzRYYMxTKs
— ANI (@ANI) August 1, 2023
आपको बता दें कि इससे पहले भी इस पूरे मसले को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी, तब कुछ कारणों से फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। वहीं, अब पांच दिनों की मैराथन सुनवाई के बाद कोर्ट का उक्त फैसला सामने आया है। राज्य सरकार की ओर पेश हुए अधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि बिहार के लोगों की आर्थिक स्थिति से संबंधित जानकारी जुटाने के लिए जातिगत जनगणना अनिवार्य है।
सरकार की तरफ से कोर्ट में पेश हुए अधिवक्ता पीके शाही ने कहा कि जाति से संबंधित जानकारी शैक्षाणिक संस्थानों में प्रवेश व नौकरी में आवेदन करने के दौरान काम आती है। शाही ने कहा कि जाति हर धर्म में होती है। हालांकि, जातीय सर्वेक्षण के दौरान किसी को भी अपनी जानकारी देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। लोग अपनी स्वेच्छा के आधार पर अपनी जाति से संबंधित जानकारी दे सकेंगे। अधिवक्ता शाही ने कहा कि जाति जनगणना का 80 फीसद कार्य पूरा हो चुका है।
ध्यान दें कि जातीय जनगणना का काम जनवरी 2023 में शुरू हुआ था। बिहार सरकार 18 फरवरी 2019 को जातिगत जनगणना से संबंधित प्रस्ताव प्रदेश विधानसभा में लेकर आई थी। लेकिन, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर इसका विरोध किया था और इसे सामाजिक तानेबाने के खिलाफ बताया था। बता दें कि बिहार सरकार शुरू से ही जातिगत जनगणना कराने के पक्ष में रही है। बहरहाल, अब आागमी दिनों में इस दिशा में क्या कुछ कदम उठाए जाते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।