पटना। बिहार में कानून और व्यवस्था की हालत तो बेगूसराय और अन्य जगह हुई घटनाओं से साबित हो ही रही है। राज्य की पुलिस भी नीतीश कुमार की सरकार के एक पूर्व मंत्री को तलाशने में नाकाम है। नीतीश सरकार में मंत्री रहे कार्तिक कुमार अपनी अग्रिम जमानत अर्जी खारिज होने के बाद 1 सितंबर से फरार हैं। मंत्री को फरार हुए 15 दिन हो चुके हैं, लेकिन अब तक उनका अता-पता नहीं लगा है। कार्तिक को नीतीश का खास माना जाता है। पहले नीतीश ने उनको कानून मंत्री बनाया था। जब हल्ला मचा कि कार्तिक के खिलाफ तो कोर्ट ने वॉरंट जारी कर रखा है, तब उनका विभाग बदलकर गन्ना उद्योग दिया गया। इस विभाग से कार्तिक ने बाद में इस्तीफा भी दिया।
कार्तिक पर साल 2014 में बिल्डर राजू सिंह के अपहरण का केस है। इस मामले में कार्तिक ने कोर्ट से अग्रिम जमानत लेने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। उसके बाद से ही वो लापता हैं। पुलिस ने कार्तिक की गिरफ्तारी के लिए टीम बनाकर कई जगह छापेमारी की, लेकिन बिहार के इस पूर्व मंत्री का अता-पता लगाने में नाकाम रही। आज पटना की अदालत में कार्तिक के इसी केस की सुनवाई है और पुलिस के हाथ पैर फूले हैं कि वो कोर्ट में क्या जवाब देगी। पिछले दिनों राजू सिंह की पत्नी दिव्या सिंह ने आरोप लगाया था कि कार्तिक के गुर्गे लगातार धमकी देकर समझौता करने का दबाव डाल रहे हैं। राजू सिंह ने खुद एक टीवी चैनल से कहा था कि कार्तिक उनको अगवा करने के मामले में शामिल थे।
राजू सिंह बिल्डर का काम करते हैं। उनको साल 2014 में अगवा किया गया था। कार्तिक के खिलाफ भी इस मामले में केस है। बीजेपी से नाता तोड़कर नीतीश कुमार ने आरजेडी के साथ सरकार बनाई। तब कार्तिक को कानून मंत्री का पद दिया। इसके बाद ही खुलासा हुआ कि जिस दिन कार्तिक शपथ ले रहे थे, उस दिन उनके खिलाफ गिरफ्तारी वॉरंट था। उनको उसी दिन कोर्ट में सरेंडर करना था। मामले में नीतीश कुमार ने मीडिया के सवाल पर कहा था कि कार्तिक पर केस और वॉरंट की जानकारी उनको नहीं है। इसके बाद कार्तिक को कानून मंत्री पद से हटाकर दूसरा विभाग उन्होंने दे दिया था। जिसके अगले दिन ही कार्तिक ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।