नई दिल्ली। देश इस वक्त भीषण गर्मी का सामना कर रहा है दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में तो इस चिलमिलाती गर्मी से परेशान लोग मॉनसून के इंतजार में नजर बिछाए बैठे हैं, लेकिन इन सब के बीच बिहार बाढ़ के प्रचंड रूप से जूझ रहा है। राज्य के कई हिस्सों में तो आलम ये है कि लोग अपने घरों में पानी भरने के बाद बेघर हो चुके हैं और अब खुले आसमान के नीचे जीवन यापन करने को मजबूर है। बाढ़ का असर अब रेल परिचालन पर भी पड़ने लगा है। कई जगहों में बाढ़ का पानी ट्रेक पर पहुंच गया है जिसके कारण कई ट्रेनों का परिचालन रोक दिया गया है तो कईयों के रूट में बदलाव कर दिया गया।
बता दें कोसी, गंडक, महानंदा, सोन, गंगा, बूढ़ी गंडक, बागमती, कमला बलान, सरयू, पुनपुन, लखनदेई, अवधारा, फाल्गू… ये वो नदियां हैं जो बिहार में जितनी खुशहाली नहीं लातीं उससे ज्यादा तबाही इनके कारण राज्य को झेलनी पड़ती है। यहां पर सोचने वाली बात ये भी है कि बिहार का ये हाल एक बार का नहीं बल्कि हर साल का है तो फिर क्यों सरकार इससे निपटने के लिए सही कदम नहीं उठा रही। जब भी मॉनसून (Monsoon) का मौसम आता है तो देश के बाकी हिस्सों में बरसात फसलों और खेती करने वाले लोगों के चहरे पर मुस्कान ला देती है लेकिन यही मॉनसून बिहार के लिए तबाही का मंजर बन जाता है। साल दर साल कई प्लान बने, कई बजटीय आवंटन होते हैं लेकिन उस सब के बावजूद जमीनी हालात जस के तस बने हुए हैं।
आपको बता दें कि इस वक्त बिहार की कोसी नदी उफान पर है। जिस वजह से सुपौल और अन्य जिलों के कई गांवों में हालात पहले के मुकाबले और खराब हो गए हैं। कोसी नदी के तटबंध के अंदर से भी पानी आने के कारण गांवों में जल-जमाव की समस्या देखने को मिल रही है। इसका एक बड़ा कारण नेपाल की ओर से लगातार पानी छोड़ा जाना भी है। इस वजह से सुपौल जिले के भपटियाही, निर्मली, किसनपुर और अन्य गांव पानी-पानी हो चुके हैं। हालांकि अब देखना होगा कि कब लोगों को बाढ़ की इस परेशानी से छुटकारा मिलेगा।