नई दिल्ली। पिछले कई महीनों से पश्चिम बंगाल (West Bengal) में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की हत्या और लगातार हो रहे हमलों से खफा भाजपा (BJP) ने राज्य पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन (President Rule) लगाने की मांग की है। बता दें कि पश्चिम बंगाल में ममता सरकार की नाक की नीचे अराजकतत्वों के हौसले इस कदर बढ़ गए हैं कि जब मन में आता है कि किसी ना किसी विरोधी की हत्या कर दी जाती है और इसपर ममता दीदी पूरी तरह से खामोश रहती हैं। ऐसे माहौल में बीजेपी का आरोप है कि राज्य के अंदर ममता बनर्जी सरकार में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गई है। बता दें कि इस अराजकता से निजात दिलाने के लिए भाजपा बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव में फतह हासिल करने के बाद बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत अब पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में लगा दी है।
वहीं बंगाल में प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष (BJP president Dilip Ghosh) के काफिले पर गुरुवार को पत्थरबाजी की घटना से नाराज बीजेपी अब ममता सरकार पर हमलावर हो गई है। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में भाजपा अभी से माहौल बनाना शुरू कर चुकी है। बता दें कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा की 294 सीटें हैं। पिछले चुनाव की स्थिति पर गौर करें तो बीजेपी की हालत बेहद खराब थी।
बता दें कि पिछले चुनाव के नतीजों पर गौर करें तो ममता बनर्जी की टीएमसी को सबसे ज्यादा 211 सीट, कांग्रेस को 44, लेफ्ट को 26 और बीजेपी को मात्र 3 सीटें मिली थीं। बंगाल में सत्ता हासिल करने के लिए 148 सीटें हासिल करना जरूरी है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से इस बार पूरी ताकत झोंकी जा रही है।
वहीं राज्य सरकार पर हमलावर होने के पीछे अहम कारण भाजपा कार्यकर्ताओं पर लगातार हो रहे हमले भी हैं। बता दें कि गुरुवार को पश्चिम बंगाल के भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष दिलीप घोष के काफिले पर हमला हुआ था। दिलीप घोष पर यह हमला तब हुआ जब वह अलीपुरद्वार से गुजर रहे थे। इसी दौरान उनके काफिले पर कुछ उपद्रवियों ने पत्थर फेंके। पत्थरबाजी में दिलीप घोष की गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गई थी।
हमले को लेकर कहा जा रहा है कि दिलीप जिस रास्ते से वापस लौट रहे थे वहीं पर जीजेएमएम (विमल गुरुंग गुट) के कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष को काले झंडे भी दिखाए। हालांकि उनके इस प्रदर्शन का कोई असर न देख कार्यकर्ता गुस्सा हो गए और घोष के काफिले पर पथराव शुरू कर दिया।