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Delhi Mayor Elections : दिल्ली मेयर चुनाव में BJP को लग सकता है बड़ा झटका! SC बोला- नॉमिनेटेड सदस्य नहीं कर सकते वोट

Delhi Mayor Elections : चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कानून एकदम स्पष्ट है कि नामित सदस्यों को वोट करने का अधिकार नहीं है। आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच मेयर चुनाव को लेकर तनातनी का दौर जारी है और कई बार चुनाव को रद्द की जा चुका है।

नई दिल्ली। दिल्ली में एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी की बड़ी जीत के बाद लगातार तीन बार मेयर चुने जाने को लेकर सदन में हंगामा हुआ और आखिरकार तीनों बार सदन की बैठक को रद्द करना पड़ा। अब दिल्ली के मेयर चुनाव के मसले पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने का फैसला लिया है। साफ है कि तब तक मेयर के चुनाव नहीं कराए जा सकते। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी भी की है, जिसे भाजपा के लिए झटका माना जा रहा है। उच्चतम न्यायालय की बेंच ने कहा कि नामित सदस्य मेयर के चुनाव में मतदान नहीं कर सकते। अदालत ने कहा कि इस संबंध में कानून एकदम स्पष्ट है और उसका उल्लंघन किसी भी हालत में नहीं होना चाहिए।

आपको बता दें कि इससे पहले गुरुवार को मेयर चुनाव के लिए मतदान होना था, लेकिन एलजी और अन्य लोगों ने जब इसे टालने पर सहमति जताई तो सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई करने की बात कही। इस दौरान आम आदमी पार्टी के वकीलों ने कहा कि मेयर चुनाव में नामित सदस्यों को वोट नहीं करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। इस पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कानून एकदम स्पष्ट है कि नामित सदस्यों को वोट करने का अधिकार नहीं है। आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच मेयर चुनाव को लेकर तनातनी का दौर जारी है और कई बार चुनाव को रद्द की जा चुका है।

Supreme Courtगौरतलब है कि कुछ समय पहले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने एलजी से 16 फरवरी को चुनाव कराने को कहा था, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया था। हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही चुनाव हो सकेगा। बता दें कि इससे पहले 6 जनवरी और 24 जनवरी को भी पार्षदों की मीटिंग बुलाई गई थी, लेकिन मेयर चुनाव के लिए मतदान नहीं हो सका। इसकी वजह यह थी कि एलजी की ओर से नामित किए गए 10 सदस्यों को वोट करने की परमिशन के आम आदमी पार्टी खिलाफ थी। वहीं भाजपा इन पार्षदों के समर्थन में थी। एलजी की ओर से इन नामित सदस्यों को वोटिंग करने की अनुमति दी गई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से संकेत मिले हैं कि वह अपने फैसले में भी नामित सदस्यों को वोटिंग से दूर रखने की बात कह सकता है। ऐसा हुआ तो यह भाजपा के लिए एक बड़ा झटका साबित होगा।