नई दिल्ली। पंजाब चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी AAP के संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने राज्य की जनता से तमाम वादे किए थे। उन्होंने महिलाओं को हर महीने 1000 रुपए देने, 300 यूनिट तक बिजली का बिल माफ करने और पंजाब की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के अलावा किसानों की आय बढ़ाने की बात कही थी। ये वादे तो पूरे हुए नहीं, उल्टे पंजाब की आप सरकार ने 60 दिन में 8000 करोड़ का कर्ज अलग ले लिया। सत्ता संभालने के बाद भगवंत मान की सरकार ने 10 मार्च को 1500 करोड़, 17 मार्च को 1500 करोड़, 24 मार्च को 2500 करोड़, 27 अप्रैल को 1500 करोड़ और 4 मई को 1000 करोड़ का कर्ज लिया।
Rather than reducing Punjab’s debt, @AAPPunjab Govt has taken ₹8000 Cr loan in 60 days
March
10th – 1500 Cr
17th- 1500 Cr
24th- 2500 Cr
April
27th- 1500 Cr
May 4th- 1000 Cr
Total in 2 mnths 8000 Cr @ArvindKejriwal Ji where is ₹54000 Cr you said you will add in Punjab budget?? pic.twitter.com/Knp6M2MYQ2— Manjinder Singh Sirsa (@mssirsa) May 14, 2022
बीजेपी के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस मामले में पंजाब की आप सरकार को घेरा है। उन्होंने ट्वीट कर सवाल दागा है कि अरविंद केजरीवाल जी, पंजाब के बजट में आप जिस 45000 करोड़ को जोड़ने की बात कह रहे थे, वो रकम आखिर कहां है। पंजाब में आप की सरकार बनने के बाद से किसान और अन्य वर्ग भी काफी परेशान हैं। किसानों की भी सुनी नहीं जा रही। एक बार तो धरना दे रहे किसानों पर पुलिस लाठी भी चला चुकी है। वहीं, पानी और बिजली न आने की खबरें भी मीडिया के जरिए आईं थीं। ऐसे में भगवंत मान सरकार क्या कर रही है, इसपर सवाल खड़े हो रहे हैं।
The dairy farmers of #Punjab on Saturday announced to launch an agitation against the #BhagwantMann (@BhagwantMann)-led Punjab government for non-redressal of their demands. They have also announced to open up a front.
Photo: IANS (Representational image) pic.twitter.com/tGwgJPrLHI
— IANS (@ians_india) May 14, 2022
पंजाब के किसानों और डेयरी चलाने वालों को आस थी कि आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद उनकी हालत बेहतर होगी, लेकिन ऐसा न होने से वे भी आंदोलन की राह पर चलने लगे हैं। शनिवार को पंजाब में डेयरी चलाने वाले किसानों ने भगवंत मान सरकार के खिलाफ आंदोलन का एलान भी कर दिया है। डेयरी चलाने वाले किसानों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को मान नहीं रही है। इस वजह से वे आंदोलन करने पर मजबूर हैं।