नई दिल्ली। सीमा पर चीन की चालबाजियों को देखते हुए भारत में चीनी सामानों को बैन करने की मांग की जा रही है। फिलहाल चीनी सामानों को बैन करने का असर भी अब देखने को मिल रहा है। कई राज्यों ने भी अपने स्तर पर चीनी सामानों, व उनके प्रोजेक्ट्स को रोकना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश में भी आगरा और कानपुर मेट्रो परियोजनाओं के लिए चीनी कंपनी के टेंडर को खारिज कर दिया।
बता दें कि उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (यूपीएमआरसी) ने आगरा और कानपुर मेट्रो परियोजनाओं के लिए चीनी कंपनी के टेंडर को खारिज कर दिया। यूपीएमआरसी ने आगरा और कानपुर में मेट्रो ट्रेनों (रोलिंग स्टॉक्स) की सप्लाई, टेस्टिंग और कमिशनिंग के साथ-साथ ट्रेन कंट्रोल और सिग्नलिंग सिस्टम का करार भारतीय कंपनी मैसर्स बॉम्बार्डियर ट्रांसपोर्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को दिया है।
गौरतलब है कि आगरा और कानपुर दोनों ही मेट्रो परियोजनाओं के लिए कुल 67 ट्रेनों की सप्लाई होगी। जिनमें से प्रत्येक ट्रेन में 3 कार या कोच होंगे, जिनमें से 39 ट्रेनें कानपुर और 28 ट्रेनें आगरा के लिए होंगी। एक ट्रेन की यात्री क्षमता लगभग 980 होगी यानी प्रत्येक कोच में लगभग 315-350 यात्री यात्रा कर सकेंगे। चीन की कंपनी तो तकनीकी बिड में ही अयोग्य घोषित हो चुकी थी।
चार अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने इस काम के लिए 18 फरवरी को टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लिया था। इसके बाद, विस्तृत तौर पर इन निविदाओं का तकनीकी आकलन किया गया, जिसके बाद बिड में शामिल चीनी कंपनी को अयोग्य घोषित कर दिया गया। फाइनेंशियल बिड के लिए तीन बिडर्स को चुना गया और सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी मैसर्स बॉम्बार्डियर इंडिया प्राइवेट लि. को शुक्रवार को कॉन्ट्रेक्ट दे दिया गया। आगरा और कानपुर मेट्रो परियोजनाओं को मिलने वाली अत्याधुनिक ट्रेनों की सप्लाई कंपनी के सावली (गुजरात) स्थित प्लान्ट से होगी। केंद्र सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ मुहिम को भी इससे ताकत मिलेगी।
वहीं केंद्र सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ मुहिम को देखें तो ये पहल इस मुहिम के हिसाब से अच्छी है। बता दें कि कानपुर में 64 से 65 हफ्तों में मेट्रो ट्रेन गुजरात से आ जाएगी।