जयपुर। राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों पर 25 नवंबर को वोटिंग होने जा रही है। मुख्य मुकाबला यहां सत्तारूढ़ कांग्रेस और बीजेपी के बीच है। पिछली बार यानी 2018 के विधानसभा चुनाव के नतीजों की बात करें, तो राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस ने 100 सीट हासिल की थीं। बीजेपी को 73 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं, बीएसपी के 6 विधायक समेत 27 अन्य विधायक चुने गए थे। इस बार बीजेपी ने कांग्रेस को सत्ता में लगातार दोबारा न लौटने देने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है। वहीं, अशोक गहलोत और सचिन पायलट समेत कांग्रेस के नेता दावा कर रहे हैं कि 30 साल का रिकॉर्ड तोड़कर एक बार फिर राजस्थान में कांग्रेस सरकार बना लेगी। दोनों दलों की किस्मत क्या रंग लाती है, ये तो 3 दिसंबर को वोटों की गिनती के बाद ही पता चलेगा।
अगर राजस्थान के जातिगत समीकरण की बात करें, तो यहां अनुसूचित जाति की आबादी करीब 18 फीसदी है। अनुसूचित जनजाति यानी आदिवासियों की आबादी का हिस्सा 14 फीसदी है। राजस्थान में पिछड़ा वर्ग की आबादी 40 फीसदी, सामान्य की 19 फीसदी और मुस्लिमों की 9 फीसदी है। 2018 में राजस्थान के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 39.30 फीसदी वोट मिले थे। जबकि, बीजेपी को 38.77 फीसदी और अन्य को 21.93 फीसदी वोट हासिल हुए थे। जातिगत समीकरण ही हैं कि राजस्थान में कांग्रेस ने राजपूत समाज के 17 और बीजेपी ने 25 उम्मीदवार उतारे हैं। कांग्रेस ने 16 ब्राह्मणों को टिकट दिया है, तो बीजेपी ने इस समाज के 20 प्रत्याशी मैदान में खड़े किए हैं। वैश्य समुदाय से कांग्रेस और बीजेपी ने 11-11 प्रत्याशी उतारे हैं। वहीं, अनुसूचित जाति के 34-34 प्रत्याशी बीजेपी और कांग्रेस ने लड़ाने की तैयारी की है। कांग्रेस ने 33 और बीजेपी ने 30 आदिवासियों को टिकट दिया है। जबकि, कांग्रेस ने 11 और बीजेपी ने 10 गुर्जर, कांग्रेस ने माली समाज के 4 और बीजेपी ने 3 और जाट समाज के कांग्रेस ने 36, तो बीजेपी ने 33 उम्मीदवार उतारे हैं।
राजस्थान में इस बार चुनाव में कई मुद्दे हैं। अशोक गहलोत की सरकार ने सस्ते गैस सिलेंडर समेत कई योजनाओं को लागू करने की बात कही है। इसके अलावा सीएम गहलोत ने कॉलेज के पहले साल में छात्रों को मुफ्त लैपटॉप और टैबलेट देने, प्राकृतिक आपदा में 15 लाख का बीमा, पुरानी पेंशन योजना, 2 रुपए किलो की दर से गोबर खरीदने, हर छात्र को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा, घर की मुखिया महिला को हर साल 10000 रुपए देने का वादा भी किया है। वहीं, बीजेपी ने भ्रष्टाचार, जल जीवन मिशन में घोटाला, सांप्रदायिक हिंसा और कन्हैयालाल की हत्या के अलावा किसानों की कर्जमाफी जैसे मुद्दे उठाए हैं। बीजेपी ने केजी से पीजी तक मुफ्त पढ़ाई, ढाई लाख सरकारी नौकरी देने, किसानों की सम्मान निधि सालाना 12000 रुपए करने और महिला सुरक्षा समेत तमाम वादे किए हैं।