newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Heli Crash: जब खत्म नहीं हुआ जनरल बिपिन रावत का इंतजार, जानिए किसने दी सेना को हादसे की जानकारी

सेना और पुलिस के पहुंचने से पहले ही गांव के लोग आग बुझाने और हेलीकॉप्टर में सवार लोगों को बचाने की सारी कोशिश कर रहे थे। अगर ये हादसा कहीं और हुआ होता, तो हेलीकॉप्टर और लोगों को तलाश करने में ही काफी वक्त लग जाता।

नई दिल्ली। बुधवार का दिन। तारीख 8 दिसंबर 2021। वक्त दोपहर 12 बजकर 20 मिनट। वेलिंगटन के परेड ग्राउंड हेलीपैड पर स्टाफ कॉलेज के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल एमजेएस कहलों मौजूद थे। उनकी आंखें आसमान पर थीं। कुछ ही पलों में सीडीएस बिपिन रावत का हेलीकॉप्टर यहां लैंड करने वाला था। उनकी अगवानी के लिए कहलों आए थे। उनकी पत्नी भी साथ थीं। उनके हाथ में सीडीएस की पत्नी मधुलिका रावत के लिए गुलदस्ता था। वक्त बीतकर 12 बजकर 25 मिनट हो गए। कहलों ने अपनी घड़ी देखी। वो सोचने लगे कि आखिर हेलीकॉप्टर अब तक पहुंचा क्यों नहीं। सीडीएस सेना का अंग हैं और सेना में देर की कोई गुंजाइश नहीं होती। वो ये सोच ही रहे थे कि एक अफसर दौड़कर पहुंचे और बताया कि अभी पुलिस की ओर से फोन आया है कि सीडीएस जिस हेलीकॉप्टर में थे, वो हादसे का शिकार हो गया है।

bipin rawat

ये जानकारी मिलते ही लेफ्टिनेंट जनरल कहलों ने तुरंत सेना के एक दल को रवाना किया। हादसे की जगह की जानकारी स्थानीय लोगों ने पुलिस को दे दी थी। दरअसल, हादसा नीलगिरि के जंगलों में बसे एक गांव के पास हुआ था। इस वजह से इसकी जानकारी जल्दी से पुलिस और फिर सेना को मिल गई। सेना और पुलिस के पहुंचने से पहले ही गांव के लोग आग बुझाने और हेलीकॉप्टर में सवार लोगों को बचाने की सारी कोशिश कर रहे थे। अगर ये हादसा कहीं और हुआ होता, तो हेलीकॉप्टर और लोगों को तलाश करने में ही काफी वक्त लग जाता।

ys rajshekhar reddy

बता दें कि अविभाजित आंध्र प्रदेश के सीएम वाईएस राजशेखर रेड्डी का हेलीकॉप्टर 2 सितंबर 2009 को कुरनूल के पास ही हादसे का शिकार हुआ था। उस दिन भी काफी धुंध थी। रेड्डी का हेलीकॉप्टर नल्लामल्ला के जंगलों के ऊपर खो गया था। काफी तलाश के बाद अगले दिन यानी 3 सितंबर को रुद्रकोंडा की पहाड़ी पर हेलीकॉप्टर मिला था। उनके लापता हेलीकॉप्टर की तलाश के लिए उस वक्त भारत का सबसे बड़ा तलाशी अभियान चलाया गया था। ये हादसा भी सुबह हुआ था। जिसका पता भी काफी देर बाद लग सका था, क्योंकि हादसे वाली जगह कोई आबादी नहीं थी।