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Rajasthan: ‘सोनू सूद फाउंडेशन’ के नाम पर हुई ठगी, कैंसर पीड़ित मनोज वर्मा का अकाउंट किया खाली

Rajasthan: मनोज का कुछ समय पहले एक्सीडेंट हुआ था, उसमे ऐसा घाव हुआ जो की धीरे-धीरे कैंसर में बदल गया, जो भी रकम बचा राखी थी, वो सब इलाज में लग चुकी है। अब न इलाज के पैसे हैं, न ही खाने के। 1 बेटी 16 वर्ष की है जो 12 वीं कक्षा में जबकि बेटा 13 वर्ष का है और 10 वीं कक्षा में पढता है। उनकी फीस के भी पैसे मनोज के पास नहीं है।

नई दिल्ली। कोरोना काल में सोनू सूद फाउंडेशन पूरे देश में लोगो की उम्मीद बनकर उभर कर आया था, लेकिन अब उसी सोनू सूद फाउंडेशन के नाम पर कोटा में कैंसर पीड़ित मनोज वर्मा के साथ जो घटित हुआ, वो इतना घृणित है कि उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। किसी जरूरतमंद के पास जब सोनू सूद फाउंडेशन से फोन जाता है, तो उसकी उम्मीदों को पंख लग जाते हैं, लेकिन मनोज वर्मा को सोनू सूद फाउंडेशन के नाम से ही अब डर लगने लगने लगा है। जैसे-तैसे मनोज वर्मा को भामाशाहो से जो थोड़ी-थोड़ी वित्तीय सहायता मिली थी, वो एक ही झटके में ठगो ने मदद करने के नाम पर हड़प ली। 50 वर्षीय मनोज वर्मा का कुछ समय पहले एक्सीडेंट हुआ था, जिसमें उनका एक घाव कैंसर में बदल गया। कैंसर के इलाज में अब तक 8 लाख रुपये लग चुके हैं और अब मनोज के पास दवा-गोली, राशन पानी के भी पैसे नहीं बचे। इसमें मनोज वर्मा के कुछ शुभचिंतकों ने सोशल मीडिया पर उनकी मदद के लिए फोन-पे नंबर जारी किये।

उन नंबर पर मनोज को थोड़े-थोड़े करके 31000/-रुपये के लगभग प्राप्त हुए थे, लेकिन आज उनके मोबाइल पर एक फोन कॉल आया। फोन करने वाले ने अपने आप को सोनू सूद फाउंडेशन का कर्मचारी बताया तथा मनोज की सोनू सूद की ओर से पूरी मदद करने का आश्वासन दिया। आश्वासन देने के बाद वित्तीय सहायता करने के लिए मनोज से बैंक डिटेल मांगी एवं OPT लेकर उसका पूरा अकाउंट चंद सेकंड में खाली कर दिया। मनोज के पास जब पैसे निकलने का मैसेज आया तब पता चला की वो ठगी का शिकार हो चुका है। मनोज के अकाउंट में अब मात्र 20 /-रुपये बचे है।

मनोज बहुत ही दुखी और परेशान है। इस मामले के बारे में साइबर क्राइम में शिकायत दर्ज करवाई है, लेकिन उसको कोई उम्मीद नहीं है कि उसकी रकम वापस आएगी। बैंक वालों ने सेफ्टी के लिए मनोज का अकाउंट भी फ्रीज़ कर दिया है, जिसमे पैसे आ तो सकते हैं, लेकिन कोई निकाल नहीं सकता। मनोज की हालत अब दयनीय है और वो “सोनू सूद फाउंडेशन” के नाम से ही घबराने लगा है।

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अकेला कमाने वाला है मनोज

मनोज का कुछ समय पहले एक्सीडेंट हुआ था, उसमे ऐसा घाव हुआ जो की धीरे-धीरे कैंसर में बदल गया, जो भी रकम बचा राखी थी, वो सब इलाज में लग चुकी है। अब न इलाज के पैसे हैं, न ही खाने के। 1 बेटी 16 वर्ष की है जो 12 वीं कक्षा में जबकि बेटा 13 वर्ष का है और 10 वीं कक्षा में पढता है। उनकी फीस के भी पैसे मनोज के पास नहीं है।

कैबिनेट मिनिस्टर शांति धारीवाल से मिला बस थोड़ा राशन और आश्वासन-

मनोज का कहना है कि “सराकर ने जनहित में कई चिकित्सा स्कीम चलाने का प्रचार कर रखा है, लेकिन जमीनी स्तर पर मुझे उसका कुछ फायदा नहीं मिला। मैं मंत्री जी के पास गया था लेकिन वहां से थोड़ा राशन मदद के रूप में दिया गया साथ ही 1-2 दिन में दवाई की व्यवस्था करने का कहा गया है, लेकिन मेरे परिवार की जिम्मेदारी के लिए कोई मदद ठोस मदद नहीं मिल रही है।