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Chhattisgarh budget 2022: राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने की पुरानी पेंशन योजना बहाल, CM बघेल का ऐलान

Chhattisgarh budget 2022: छत्तीसगढ़ के बजट में एक बार फिर ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर आधारित ‘छत्तीसगढ़ मॉडल’ की झलक दिखी है। राजीव गांधी भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना की राशि 6000 से बढ़ाकर 7000 कर दी गयी है। योजना के शुभारंभ के समय ही राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से मंच से ही राशि बढ़ाने की अपील की थी, जिसे मुख्यमंत्री ने बजट में लागू किया है।

नई दिल्ली। राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस शासित भूपेश बघेल सरकार ने पुरानी पेंशन योजना लागू करने का बजट में ऐलान किया। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को वित्त मंत्री के रूप में वर्ष 2022-23 का राज्य बजट पेश करते हुये कई अहम घोषणाएँ की हैं। इनमें पुरानी पेंशन योजना बहाल करना, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं को परीक्षा शुल्क से राहत, राजीव गांधी भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना की राशि बढ़ाना, किसानों को कृषि कार्य के लिए बिजली मुफ्त जैसी प्रमुख घोषणाएँ शामिल हैं। प्रदेश के इस बार के बजट में ग्रामीण, युवा बेरोजगार, किसान और सेवानृवित्त कर्मचारियों पर फोकस किया गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस बार बजट पेश करने गोबर से बना बैग लेकर विधानसभा पहुंचे। बजट भाषण में बघेल ने कहा कि यह बजट सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के महात्मा गांधी के मूल मंत्र को साकार करने का एक सशक्त प्रयास है। दरसअल राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़ में भी पुरानी पेंशन योजना लागू करके कांग्रेस पार्टी ने केंद्र की भाजपा सरकार और अन्य राज्य सरकारों पर दबाव बढ़ाने का एक प्रयास किया है। उत्तर भारत के कई राज्यों के शासकीय कर्मचारियों की लंबे समय से पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग की थी।

Chhattisgarh CM Bhupesh Baghel

यह योजना राजस्थान से पहले छत्तीसगढ़ में लागू होने वाली थी लेकिन यूपी चुनाव में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के वरिष्ठ पर्यवेक्षक होने के नाते बढ़ी व्यस्तता की वजह से राज्य का विधानसभा सत्र फरवरी से मार्च देर से शुरू हुआ। इसी दौरान राजस्थान में पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा कर दी गयी। सूत्रों की माने तो कांग्रेस हाईकमान का मानना है कि पुराने पेंशन योजना से मध्यम वर्ग को ज्यादा आकर्षित किया जा सकेगा।

छत्तीसगढ़ के बजट में एक बार फिर ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर आधारित ‘छत्तीसगढ़ मॉडल’ की झलक दिखी है। राजीव गांधी भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना की राशि 6000 से बढ़ाकर 7000 कर दी गयी है। योजना के शुभारंभ के समय ही राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से मंच से ही राशि बढ़ाने की अपील की थी, जिसे मुख्यमंत्री ने बजट में लागू किया है। तमाम लोग ये मान चुके हैं कि देशव्यापी मंदी का असर छत्तीसगढ़ में नहीं दिखी। इसकी एक बड़ी वजह लोगो को डायरेक्ट कैश ट्रान्सफर की योजना ही थी। वहीं, बजट में छत्तीसगढ़ के बेरोजगार युवाओं को भी बड़ी राहत दी गयी है। छत्तीसगढ़ व्यावसायिक मंडल और राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में अब अभ्यर्थियों से कोई फीस नहीं ली जाएगी।

Chhattisgarh Budget

अन्य घोषणाएं-

-विधायक निधि की राशि के साथ साथ जिला पंचायत के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य के मानदेय की राशि, जनपद पंचायत के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य के मानदेय की राशि, और सरपंचों और पंचों का भत्ता बढ़ाने का ऐलान किया है।

-गौण खनिजों में भ्रष्टाचार और कालाबाजारी की शिकायत पर रोक लगाने अब माइनिंग का पूरा अधिकार पंचायत के पास होगा। पंचायतों की अनुमति के बगैर माइनिंग की अनुमति नहीं दी जाएगी।

-प्रदेश के सभी जिलों में स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल के बाद अब अगले साल से हिंदी माध्यम की स्कूलें भी शुरू होंगी।

-गोठानों को महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में विकसित किया जाएगा। स्थानीय खाद्य उत्पादों और लघु वनोपज के मूल्यवर्धन के लिए प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना की जाएगी। बांस और लकड़ी के शिल्प, धातु शिल्प और अन्य हस्तशिल्प से संबंधित लघु और कुटीर उद्योगों की स्थापना के लिए स्थानीय युवाओं को सहायता की जाएगी।