नई दिल्ली। कभी चिराग पासवान खुद को पीएम नरेंद्र मोदी का हनुमान बताते थे। आज मुसीबतें उनके सिर पर सवार हैं। पहले चिराग ने अपने चाचा पशुपति पारस के हाथ पिता रामविलास पासवान की बनाई लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) की कमान गंवाई। अब एक और ऐसी चीज उनके हाथ से निकलने जा रही है, जिससे रामविलास पासवान का गहरा नाता रहा है। यह चीज कुछ और नहीं, जनपथ स्थित 12 नंबर का वो सरकारी बंगला है, जहां हमेशा रामविलास पासवान काबिज रहे। किसी भी पार्टी, कोई भी सरकार रही हो, रामविलास पासवान को 12 नंबर बंगले से कोई हटा नहीं सका। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के 10 नंबर बंगले के ठीक बगल वाला 12 नंबर बंगला चिराग के पिता को इतना पसंद था कि वहां उन्होंने अपना और बाद में एलजीपे का अध्यक्ष चिराग को बनवाने के बाद उनका भी दफ्तर बनवा दिया था। अब हाउसिंग मिनिस्ट्री ने चिराग को यह बंगला खाली करने का नोटिस भेजा है।
फिलहाल जनपथ के 12 नंबर बंगले में चिराग पासवान, उनकी मां रीना और कुछ रिश्तेदार रहते हैं। पहले इस बंगले को खाली करने के लिए नोटिस भेजा गया था। चिराग ने जब इसे खाली नहीं किया, तो अब हाउसिंग मिनिस्ट्री ने आदेश जारी किया है। वैसे चिराग को बतौर सांसद एक सरकारी बंगला मिला हुआ है, लेकिन वह पिता के साथ और उनके बाद 12 नंबर में ही रहते आए। यह बंगला एलजेपी का आधिकारिक पता भी रहा है।
बताया जा रहा है कि बंगला खाली करने का नोटिस मिलने पर चिराग पासवान ने सरकार से कुछ वक्त मांगा था, लेकिन उसी दौरान पार्टी से चिराग को बाहर निकाल फेंकने वाले उनके चाचा पशुपति पारस को यही बंगला अलॉट कर दिया गया। पशुपति हालांकि यह कहकर 12 नंबर बंगले में नहीं गए कि इससे गलत संदेश जाएगा। बता दें कि चिराग पासवान ने एलजेपी का तत्कालीन अध्यक्ष होते हुए बिहार में एनडीए से अलग चुनाव लड़ा था। उनका कहना था कि वह नीतीश कुमार के साथ खड़े नहीं हो सकते। बीते दिनों चिराग ने आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव से भी मुलाकात की। तब लालू ने कहा था कि चिराग को मेरे बेटे तेजस्वी के साथ आ जाना चाहिए।