नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी विरोधी 28 विपक्षी दलों के I.N.D.I.A (इंडिया) गठबंधन में जबरदस्त टकराव दिखने लगा है। इस टकराव में समाजवादी पार्टी (सपा), कांग्रेस, सीपीएम और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) शामिल हैं। इनमें से सपा यूपी में और टीएमसी पश्चिम बंगाल में क्षेत्रीय क्षत्रप है। वहीं कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी का दर्जा रखती है। वामपंथी दलों में सीपीएम सबसे बड़ा दल है। इन चारों दलों में से सपा ने कांग्रेस के खिलाफ पिछले कुछ दिनों से मोर्चा खोल रखा है, तो सीपीएम और टीएमसी आमने-सामने हैं। विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन में इन चार अहम दलों की आपसी रार से बीजेपी हटाओ का इरादा फिलहाल झटके खाता दिख रहा है। पहले बात सपा और कांग्रेस की करते हैं।
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा ने कांग्रेस से 6 सीटें मांगी थीं। जो नहीं मिलीं। इसके बाद से सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव बिफरे हुए हैं। अखिलेश यादव ने ये तक कह दिया है कि यूपी में उनकी पार्टी अन्य सहयोगी दलों को लोकसभा चुनाव में 15 सीटें ही देगी और खुद सपा 65 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। दूसरी तरफ सपा के ही अन्य नेता यूपी की सभी 80 सीटों पर लड़ने का दावा लगातार कर रहे हैं। इतना ही नहीं, सपा के प्रवक्ता आईपी सिंह ने ये कहकर भी कांग्रेस पर तंज कसा है कि बगैर हमारी मदद के अमेठी और रायबरेली में उसकी नैया पार नहीं लग सकेगी। आईपी सिंह ने बीते दिनों ये सवाल भी अपने एक्स अकाउंट में उठाया था कि आखिर 2019 में राहुल गांधी अमेठी हार कैसे गए?
उधर, पश्चिम बंगाल में इंडिया गठबंधन के 3 दलों में टकराव है। कांग्रेस के नेता ममता के खिलाफ बयानबाजी करते ही रहते हैं। वहीं, बंगाल में कांग्रेस के साथ गठजोड़ कर पिछला विधानसभा चुनाव और हाल ही में हुए पंचायत चुनाव लड़ने वाली सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी ने कह दिया है कि सत्तारूढ़ ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी से कोई गठजोड़ नहीं हो सकता। येचुरी ने यहां तक कह दिया कि टीएमसी ने तो बीजेपी के एनडीए गठबंधन का भी सहयोग किया था। ऐसे में उसके साथ चलना संभव नहीं है। इसी पर अब टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने पलटवार किया है। कुणाल घोष ने कहा है कि सीपीएम तो बीजेपी की एजेंट और बंगाल में उसकी बी टीम है। कुणाल घोष ने कहा है कि जब भी बीजेपी को मुश्किल होती है, तो सीपीएम मदद का हाथ बढ़ा देती है। उन्होंने कहा कि टीएमसी को सीपीएम की जरूरत नहीं है। यानी यूपी के बाद अब बंगाल में भी इंडिया गठबंधन नाम की कोई चीज दिखने नहीं जा रही है।