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Chhattisgarh: CM बघेल को बाय-बाय कहने की तैयारी? छत्तीसगढ़ में उठापटक के बीच पार्टी ने दी यूपी की बड़ी जिम्मेदारी

CM Baghel got important responsibility for UP elections: पंजाब की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी सत्ता परिवर्तन की मांग लंबे समय से हो रही है। पिछले कुछ दिनों से करीब 15 विधायक दिल्ली में डेरा डाल कर बैठे हैं, शनिवार को विधायकों का आंकडा 35 तक पहुँच गया। अभी और भी विधायक दिल्ली कूच कर सकते हैं।

नई दिल्ली। पंजाब कांग्रेस का बवाल अभी पूरी तरह से शांत भी नहीं हो पाया था कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस में सत्ता परिवर्तन की सुगबुगाहट तेज हो गयी है। भूपेश बघेल को कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश का पर्यवेक्षक नियुक्त कर इस बात को और हवा दे दी है कि भूपेश बघेल की कुर्सी जा सकती है लेकिन भूपेश बघेल के तेवर इस वक्त तल्ख़ (कह सकते हैं) नजर आ रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएससिंह देव के बीच सत्ता की खींचतान की खबरें पहले ही सामने आ चुकी है। दोनों का मामला दिल्ली तक पहुँच चुका है और इसी बीच टीएससिंह देव गुट के लगभग 35 विधायकों के दिल्ली में डेरा डालने की भी खबर सामने आ रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है?

BHUPESH BAGHEL

दिल्ली में डेरा क्यों डाले हैं कांग्रेस विधायक?

आपको बता दें कि  पंजाब की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी सत्ता परिवर्तन की मांग लंबे समय से हो रही है। पिछले कुछ दिनों से करीब 15 विधायक दिल्ली में डेरा डाल कर बैठे हैं। शनिवार को विधायकों का आंकडा 35 तक पहुंच गया। अभी और भी विधायक दिल्ली कूच कर सकते हैं। कहा जा रहा है कि दिल्ली पहुंच रहे विधायकों की वजह से कांग्रेस आलाकमान पर फैसला लेने का दबाव बन सकता है। वहीं दिल्ली पहुंच रहे विधायकों का कहना है कि वे दिल्ली निजी यात्रा पर आये हैं। दूसरी तरफ भूपेश बघेल भी दावा कर रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में सबकुछ ठीक चल रहा है। सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में छपी ख़बरों की मानें तो छत्तीसगढ़ में ढ़ाई-ढ़ाई साल मुख्यमंत्री वाले फार्मूले की मांग की जा रही है।

मुख्यमंत्री-स्वास्थ्य मंत्री के बीच मनमुटाव !

दरअसल दिल्ली पहुंचे विधायकों में से एक वृहस्पति सिंह ने कहा है कि वे प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया और पार्टी आलाकमान से मिलने आए हैं। छत्तीसगढ़ में किसी तरह के सत्ता परिवर्तन की बात नहीं हो रही है। यहां बताना जरूरी है कि भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री बनने को लेकर काफी समय से मनमुटाव देखने को मिला है। इस मुद्दे को लेकर दोनों दिल्ली तक हाजिरी लगा चुके हैं,लेकिन शायद मामला शांत नही हो पाया है!

TS singh deo

नई जिम्मेदारी मिलने के क्या है मायने?

राजनीतिक गलियारे में चर्चा यही है कि भूपेश बघेल को नई जिम्मेदारी देकर पार्टी ने साफ़ संदेश दे दिया है कि छत्तीसगढ़ में बड़ा बदलाव होने वाला है। वहीं भूपेश बघेल ने नई जिम्मेदारी मिलने पर केंद्र नेतृत्व का आभार जताया और कहा कि “पार्टी ने विश्वास व्यक्त किया उसके लिए धन्यवाद। एक बड़ी ज़िम्मेदारी दी है, मैं सोनिया, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के प्रति आभार व्यक्त करता हूं।“ कुछ दिन पहले ही छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ की तुलना पंजाब से करते हुए कहा था कि यहां भी पंजाब जैसा हाल हो रहा है। छत्तीसगढ़, पंजाब बन रहा है। हालांकि जब भूपेश बघेल इस पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने जो जवाब दिया वो और सवाल खड़ा करता है।

भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ कभी पंजाब नहीं बन सकता। भूपेश बघेल के इस बयान के बाद ये समझना बेहद जरूरी है कि क्या वो कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को चेतावनी दे रहे हैं या फिर विपक्ष को आगाह कर रहे हैं। ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि पंजाब में जो हलचल पैदा हुई थी वो पार्टी की आंतिरक कलह थी, विपक्ष का उसमें कोई रोल नजर नही आया था। तो यहाँ पर भूपेश बघेल किसे चेतावनी दे रही है? समझने वाले अंदाजा लगा सकते हैं।

भूपेश बघेल जो भी कुछ कहें, लेकिन दिल्ली में विधायकों का डेरा और उन्हें नई जिम्मेदारी का मिलना इस बात की ओर संकेत कर रहा है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस कुछ बड़ा परिवर्तन करना चाहती है।