नई दिल्ली। रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी को राहत देते हुए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर तीन हफ्तों के लिए रोक लगा दी है। इसके साथ ही अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल करने के लिए भी तीन सप्ताह का समय दिया है। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी पर कथित अपमानजनक टिप्पणी के खिलाफ सात अलग-अलग राज्यों में अर्णब के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर भी सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अर्णब गोस्वामी ने कहा, “मुझे यह सुनकर प्रसन्नता हुई कि सर्वोच्च न्यायालय ने मुझे गिरफ्तारी से संरक्षण दिया है। बतौर पत्रकार मैं रिपोर्ट और प्रसारण करने, अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रतता की रक्षा करने और अपनी स्वतंत्रतता के अपने संवैधानिक अधिकार को बरकरार रखने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का बहुत आभारी हूं।”
गोस्वामी ने कहा कि उनके खिलाफ कांग्रेस पार्टी द्वारा 150 से ज्यादा एफआईआर दर्ज कराई गई हैं जो उन्हें पालघर मामले की रिपोर्टिंग से रोकने के लिए डराने का स्पष्ट प्रयास है।
#BREAKING | Arnab Goswami’s video message as Supreme Court upholds his right to report https://t.co/RZHKU3wOei pic.twitter.com/I33kVNtecw
— Republic (@republic) April 24, 2020
वहीं सुनवाई के दौरान, छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने सोनिया गांधी के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक बयान देने के लिए गोस्वामी के खिलाफ कठोर आदेश मांगा, जिस पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने सख्त लहजे में कहा कि “खुद के लिए बोलने पर मीडिया पर कोई संयम नहीं होना चाहिए। मैं मीडिया पर कोई भी प्रतिबंध लगाने के खिलाफ हूं।”
वहीं इस खबर को दिकाए जाने के बाद इसकी प्रतिक्रियास्वरूप बुधवार-गुरुवार रात को स्टूडियो से घर लौटते वक्त अर्णब पर हुए हमले के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने मुंबई पुलिस कमिश्नर से अर्णब और रिपब्लिक टीवी को सुरक्षा मुहैया कराने को कहा है। पत्रकार अर्णब गोस्वामी के खिलाफ महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और तेलंगाना में दर्ज एफआईआर को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की बेंच में सुनवाई प्रारंभ हुई। अर्णब ने इन मुकदमों पर रोक लगाने की मांग की है। अर्णब गोस्वामी की ओर से दलीलें रखते हुए मुकल रोहतगी ने कहा, पालघर में 12 पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में 200 लोगों की भीड़ ने दो साधुओं की हत्या कर डाली। किसी ने पूरी वारदात की वीडियो बना ली पर दुःख की बात ये है कि पुलिस मूकदर्शक बनी रही मानो इस अपराध में उनकी मिलीभगत हो।
मुकल रोहतगी ने कहा, अर्णब ने अपने प्रोग्राम में पुलिस के गैरजिम्मेदाराना रवैये पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष की खामोशी पर सवाल खड़े करते हुए पूछा कि अगर मरने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के होते तो क्या तब भी वो यूं ही खामोश रहतीं। 21 अप्रैल को प्रसारित हुए इस प्रोग्राम के बाद ही कई राज्यों में उन पर एफआईआऱ दर्ज करवा दी गई। रोहतगी ने कहा, अर्णब के खिलाफ दर्ज इन एफआईआऱ की भाषा एक जैसी है।
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अर्णब गोस्वामी के खिलाफ एक ही मामले में कई राज्यों में मुकदमा नही चलाया जा सकता। लिहाजा सभी एफआईआऱ को एक साथ जोड़ा जाएगा। अदालत ने अर्णब को जांच में सहयोग करने को कहा है। आठ हफ्ते बाद मामला सुनवाई पर आएगा। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अलग अलग राज्यो में दर्ज एफआईआऱ को रद्द करने की मांग पर विभिन्न राज्यो को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता अर्णब को याचिका में संशोधन करने को कहा। अदालत ने कहा का याचिकाकर्ता कोर्ट से सभी याचिकाओं को एक साथ जोड़े जाने का आग्रह करे।