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Anand Mohan: ‘कभी BJP ने भी की थी आनंद मोहन की रिहाई की मांग लेकिन अब..’, बाहुबली की रिहाई पर पहली बार बोले सीएम नीतीश कुमार

Anand Mohan: मुख्यमंत्री आगे कहा कि बिहार में अभी तक 22 परिहार बोर्ड की बैठक हो चुकी है। आनंद मोहन 15 साल से भी ज्यादा समय तक जेल में रहे हैं। 698 बंदियों को रिहा किया गया। बिहार में इस कानून को खत्म कर दिया गया, इसमें क्या दिक्कत है। मुख्यमंत्री सवालिया लहजे में कहा कि आम आदमी और मुख्यमंत्री की हत्या में कोई अंतर नहीं होना चाहिए।

नई दिल्ली। आनंद मोहन की रिहाई को लेकर सवालों के घेरे में आए सीएम नीतीश कुमार ने बीजेपी के पाले में गेंद डाल दी है। उन्होंने यह कहकर बिहार में सियासी तपिश बढ़ा दी है कि पहले कभी सुशील कुमार मोदी ने भी आनंद मोहन की रिहाई की मांग की थी, लेकिन आज यही लोग विरोध कर रहे हैं। बता दें कि सुशील कुमार मोदी सहित बीजेपी के अन्य नेता लगातार आनंद मोहन की रिहाई का विरोध कर रहे हैं। उधर, इस रिहाई पर जारी सियासी बवाल के बीच नीतीश कुमार का पहली बार बयान सामने आया है। आइए, आपको बताते हैं कि उन्होंने क्या कुछ कहा है।

anand mohan

दरअसल, नीतीश कुमार ने आनंद मोहन की रिहाई को लेकर उठ रहे सवालों को सिरे से खारिज कर रिहाई को उचित करार दिया है। उन्होंने आनंद मोहन की रिहाई को वाजिब ठहराया है। नीतीश ने कहा कि आनंद मोहन की रिहाई नियमों के मुताबिक ही हुई है। किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं है कि जब किसी आरोपी की रिहाई की गई है, इससे पहले भी कई आरोपियों को रिहाई दी गई है। लेकिन पता नहीं क्यों कुछ लोग आनंद मोहन की रिहाई पर सवाल उठा रहे हैं। इसके आगे उन्होंने सुशील कुमार मोदी का जिक्र कर कहा कि उन्होंने भी पहले कभी आनंद मोहन की रिहाई की मांग की थी, लेकिन आज वही हम पर सवाल उठा रहे हैं।

anand mohan singh

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि बिहार में अभी तक 22 परिहार बोर्ड की बैठक हो चुकी है। आनंद मोहन 15 साल से भी ज्यादा समय तक जेल में रहे हैं। 698 बंदियों को रिहा किया गया। बिहार में इस कानून को खत्म कर दिया गया, इसमें क्या दिक्कत है। मुख्यमंत्री ने सवालिया लहजे में कहा कि आम आदमी और मुख्यमंत्री की हत्या में कोई अंतर नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे पहले प्रदेश के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने भी बयान जारी कर स्थिति स्पष्ट कर दी थी। उन्होंने मीडिया से मुखातिब होने के दौरान कहा था कि आनंद मोहन की रिहाई जेल नियमों के मुताबिक हुई ही हुई है। उन्हें कोई रियायत नहीं दी गई है।

बता दें कि गत 10 अप्रैल को सीएम नीतीश कुमार ने जेल नियमों में बदलाव किया था, जिसकी बदौलत ही आनंद मोहन की रिहाई मुमकिन हो पाई। ध्यान रहे कि जेल नियमावली, 2012 के नियम 481(i)(क) में संशोधन किया गया है। नियम में संशोधन से पहले ड्यूटी पर तैनात किसी भी लोकसेवक की हत्या को अपवाद की श्रेणी से हटा दिया गया था, जिसके बाद ही आनंद मोहन की रिहाई मुमकिन हो पाई है। वहीं, सीएम नीतीश द्वारा अभी हाल ही में जेल नियमों में किए गए संशोधन को लेकर राजनीतिक पारा भी गरमा गया है। दरअसल, आनंद मोहन राजपूत जाति से आते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में राजपूत वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए सीएम नीतीश कुमार ने आनंद मोहन की रिहाई का मार्ग प्रशस्त किया था।