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UP: एक और घोटाला रोकने की तैयारी में CM योगी, जल्द फैसले से स्कूली बच्चों के माता-पिता को मिलेगी राहत

Uttar Pradesh: यूपी का बेसिक शिक्षा विभाग हर साल जुलाई में सत्र शुरू होने पर बच्चों के यूनिफॉर्म वगैरा बनवा लेता है। इस साल अब तक टेंडर भी जारी नहीं किया गया है। यूनिफॉर्म वगैरा की खरीद स्कूल के स्तर पर होती है। जिसका बजट दे दिया जाता है।

लखनऊ। पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) का पहला सिद्धांत है न खाऊंगा और न खाने दूंगा। इसी को आधार बनाकर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) भी सरकार चला रहे हैं। जहां भी घोटाले की जरा सी गुंजाइश थी, वहां नियमों को बदलकर इस पर सख्ती से रोक लगा दी गई है। अब सीएम योगी जल्द ही ऐसा फैसला लेने वाले हैं, जिससे एक और घोटाला रुकेगा और स्कूली बच्चों के माता-पिता को राहत मिलेगी। हर साल यूपी के सरकारी स्कूलों के बच्चों को यूनिफॉर्म, जूते-मोजे और स्वेटर मुफ्त में दिए जाते हैं। हर बच्चे को ये मिलते नहीं। मिलते हैं, तो उनकी साइज के नहीं होते। इनकी क्वालिटी भी बेहद खराब होती है। जबकि, इन्हें तैयार कराने में सरकार का 1800-1900 करोड़ रुपए खर्च होता है। बहुत दिनों से सीएम योगी की नजर इस पर थी। अब जल्दी ही वह फैसला लेने जा रहे हैं, जिसके तहत सरकार अब बच्चों के लिए यूनिफॉर्म, जूते-मोजे और स्वेटर नहीं बनवाएगी। इस पूरे घोटाले को खत्म करने के लिए बच्चों के माता-पिता के बैंक खाते में सरकार रकम भेज देगी और इससे वे अपने बच्चों को सारी चीजें खरीदकर देंगे।

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यूपी का बेसिक शिक्षा विभाग हर साल जुलाई में सत्र शुरू होने पर बच्चों के यूनिफॉर्म वगैरा बनवा लेता है। इस साल अब तक टेंडर भी जारी नहीं किया गया है। यूनिफॉर्म वगैरा की खरीद स्कूल के स्तर पर होती है। जिसका बजट दे दिया जाता है। इस बार स्कूलों को यह सब बनवाने के निर्देश भी नहीं दिए गए हैं। इससे साफ है कि सीएम योगी ने बच्चों के पैरेंट्स के खाते में रकम भेजने का फैसला कर लिया है। सरकार पिछले साल से इस बारे में सोच रही थी।

बता दें कि यूपी के सरकारी स्कूलों में करीब दो करोड़ बच्चे पढ़ते हैं। इन्हें पिछले साल तक दो जोड़ी यूनिफॉर्म, स्कूल बैग, जूते, मोजे और स्वेटर दिए जाते थे। यूनिफॉर्म के लिए सरकार 600 रुपए खर्च करती थी। जबकि बैग और जूते-मोजे पर 300 और स्वेटर के लिए सप्लायर को 200 रुपए दिए जाते थे। कुल मिलाकर करीब 1100 रुपए प्रति बच्चे पर यूपी सरकार का हर साल इतना पैसा खर्च होता रहा है। जबकि, क्वालिटी और साइज के मामले में हर साल सवाल खड़े होते रहे हैं।