नई दिल्ली। 28 विपक्षी दलों ने केंद्र से बीजेपी की सरकार को हटाने के लिए लोकसभा चुनाव साथ लड़ने की खातिर हाथ मिलाया है। हालांकि, अब तक इस विपक्षी I.N.D.I.A गठबंधन का न कोई पीएम चेहरा तय हुआ है, न ही सीटों के बंटवारे पर ही सहमति बनी और न तो सभी दलों का कोई न्यूनतम साझा कार्यक्रम ही सामने आया है। इन सबके बीच अब कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र बनाने का फैसला भी कर लिया है और इसके लिए कमेटी भी बना दी है। कांग्रेस का घोषणापत्र बनाने की कमेटी का अध्यक्ष पूर्व वित्त और गृह मंत्री पी. चिदंबरम को बनाया गया है। वहीं, छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव को इस कमेटी का संयोजक चुना गया है। जबकि, सीएम रह चुके भूपेश बघेल को जगह नहीं मिली है।
कांग्रेस ने 2024 के आम चुनावों के लिए घोषणापत्र समिति का गठन किया।
पी.चिदंबरम को घोषणापत्र समिति का अध्यक्ष और टी.एस. सिंह देव को संयोजक नियुक्त किया गया है। pic.twitter.com/qDKwgYaTQJ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 22, 2023
कांग्रेस ने घोषणापत्र तैयार करने वाली कमेटी में और भी नेताओं को जगह दी है। इनमें कर्नाटक के सीएम सिद्धारामैया, प्रियंका गांधी वाड्रा, आनंद शर्मा, जयराम रमेश, शशि थरूर, गाइखांगाम, गौरव गोगोई, प्रवीण चक्रवर्ती, इमरान प्रतापगढ़ी, के. राजू, ओमकार सिंह मरकाम, श्रीमती रंजीत रंजन, जिग्नेश मेवाणी और गुरदीप सिंह सप्पल शामिल हैं। यानी कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव का घोषणापत्र चिदंबरम के नेतृत्व में 15 लोगों की टीम तैयार करेगी। अब सवाल ये उठता है कि कांग्रेस अगर अपना घोषणापत्र तैयार करा रही है, तो क्या विपक्षी गठबंधन का चुनाव से पहले कोई न्यूनतम साझा कार्यक्रम नहीं बनेगा और इंडिया गठबंधन में शामिल हर पार्टी अपने अलग घोषणापत्र पर चुनावी मैदान में उतरेगी?
कांग्रेस ने घोषणापत्र तैयार करने वाली कमेटी बनाकर वैसे बीजेपी से बढ़त भी ले ली है। क्योंकि अब तक बीजेपी की तरफ से लोकसभा चुनाव के लिए घोषणापत्र (जिसे वो संकल्प पत्र कहती है) बनाने की किसी कमेटी का एलान नहीं हुआ है। हालांकि, कांग्रेस के घोषणापत्र में ज्यादातर वही मुद्दे देखने को मिल सकते हैं, जो कर्नाटक और हाल ही में हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान उसके वादे थे। यानी पुरानी पेंशन योजना, कुछ यूनिट मुफ्त बिजली, जातिगत जनगणना वगैरा। हालांकि, कांग्रेस के ये वादे कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में तो कारगर रहे, लेकिन 4 राज्यों में उसे बीजेपी और अन्य दलों से मुंह की खानी पड़ी है।