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कांग्रेस को लगता है यूपी में फतह दिलाएंगी प्रियंका, लेकिन उनका प्रदर्शन अब तक रहा है फिसड्डी

Priyanka Gandhi: प्रियंका गांधी को कांग्रेस ने यूपी की कमान तो सौंप रखी है, लेकिन प्रियंका अब तक कोई करिश्मा नहीं दिखा सकी हैं। 2017 में तमाम जगह वह गईं, जनसभाएं और रोड शो किए, लेकिन कांग्रेस के सिर्फ सात विधायक ही चुने जा सके।

लखनऊ। यूपी में सात महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं और इससे ठीक पहले प्रियंका गांधी को कांग्रेस यहां प्रोजेक्ट कर रही है। प्रियंका को कांग्रेस ने पहले से ही यूपी का प्रभारी बना रखा है। आखिर इसकी वजह क्या है और क्या प्रियंका गांधी को यूपी की कमान देने से कांग्रेस की दशा और दिशा बदल सकेगी ? ये वो सवाल हैं, जिनकी पड़ताल हम कर रहे हैं।

दादी जैसी सूरत

प्रियंका गांधी के बारे में कांग्रेस के लोग बड़े उत्साहित होकर इंदिरा गांधी से उनके चेहरे-मोहरे की बराबरी करते हैं। कांग्रेस के लोग कहते हैं, ‘दादी जैसी नाक वाली’। कांग्रेस को लगता है कि प्रियंका की चाल-ढाल, नाक-नक्शे और इंदिरा गांधी स्टाइल में बात करना पार्टी को फायदा पहुंचा सकता है। कांग्रेस आलाकमान भी शायद यही सोच रहा है। जिसकी वजह से प्रियंका को यूपी में प्रोजेक्ट किया जा रहा है।

priyanka gandhi and indira gandhi

जमीनी सियासत

प्रियंका गांधी जब सक्रिय राजनीति में नहीं उतरी थीं, तो वह अपनी मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्रों में लोकसभा चुनाव के वक्त जाती थीं। सोनिया की वो सांसद प्रतिनिधि भी रहीं। इस नाते कांग्रेस आलाकमान को लगता है कि प्रियंका को जमीनी सियासत का ज्यादा ज्ञान है। ये भी एक वजह है कि प्रियंका को कांग्रेस यूपी में भेज रही है।

युवा टीम का साथ

प्रियंका गांधी ने यूपी के प्रभारी महासचिव का पद संभालने के बाद से पूरी टीम में आमूल-चूल बदलाव किया है। कांग्रेस में अब गुजरे दौर के वरिष्ठ नेता नजर नहीं आते। उनकी जगह अजय कुमार लल्लू और बाकी युवा नेताओं को यूपी कांग्रेस का जिम्मा दिया गया है। प्रियंका को युवाओं की पसंद के तौर पर पेश किया जा रहा है। ताकि सबसे ज्यादा युवा वोटर कांग्रेस की तरफ आकर्षित किए जा सकें।

Priyanka_Gandhi_Vadra....

अब तक हुआ नहीं फायदा

प्रियंका गांधी को कांग्रेस ने यूपी की कमान तो सौंप रखी है, लेकिन प्रियंका अब तक कोई करिश्मा नहीं दिखा सकी हैं। 2017 में तमाम जगह वह गईं, जनसभाएं और रोड शो किए, लेकिन कांग्रेस के सिर्फ सात विधायक ही चुने जा सके। 2019 में तो प्रियंका ने काफी मेहनत की, लेकिन यूपी से सांसद के नाम पर वो सिर्फ अपनी मां सोनिया गांधी को ही रायबरेली से जिता सकीं। अमेठी के पुराने कांग्रेसी गढ़ से उनके भाई राहुल गांधी स्मृति ईरानी से हार गए। ऐसे में देखना ये है कि 2022 के चुनाव में प्रियंका का डंका बजता है या नहीं। क्योंकि खुद प्रियंका ये मानती हैं कि कांग्रेस का जनाधार न के बराबर है। हाल के लखनऊ दौरे में वह कांग्रेसियों से प्रार्थना कर चुकी हैं कि चुनाव तक कम से कम वे 24 घंटे काम करें।