नई दिल्ली। भारत में कोरोनावायरस महामारी के मामले हर दिन इतनी तेज गति से बढ़ते जा रहे हैं कि कई महामारी विशषज्ञों के मुताबिक जल्दी ही देश में कोरोनावायरस का चरम आने की संभावना है। इसके साथ ही कोरोनावायरस पर काबू पाने के लिए तीसरी बार लगाए गए लॉकडाउन के बाद लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। लेकिन खुशी की बात ये है कि इस लॉकडाउन के दौरान प्रदूषण का स्तर जितना कम होगा उतने कम लोगों की मौत होगी। एक नई स्टडी के अनुसार अगर वायु प्रदूषण का यह स्तर इसी तरह बना रहता है तो लाखों भारतीयों की जिंदगी बच जाएगी।
आईआईटी दिल्ली और चीन की फुदान यूनिवर्सिटी और शेंझेन पॉलीटेक्नीक ने मिलकर भारत के 22 शहरों का अध्ययन किया है। इस अध्ययन में उन्होंने लॉकडाउन के दौरान 6 प्रदूषणकारी तत्वों के दुष्प्रभावों पर गहन अध्ययन किया है। अगर ऐसी ही साफ-सुथरी हवा बनी रही तो भारत में 6.50 लाख लोगों की जिंदगी वायु प्रदूषण से बचाई जा सकती है।
लॉकडाउन के पहले महीने को लेकर तीनों संस्थानों के अध्ययन के जो परिणाम सामने आए वो चौकानें वाले हैं। अध्ययन के अनुसार 16 मार्च से 14 अप्रैल तक हवा में से ये 6 प्रदूषणकारी तत्व एक तिहाई कम हो गए। यानी वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) घटकर 25 आ गया। वायु प्रदूषण कम होने का सबसे बड़ा फायदा दिल्ली को हुआ है। यहां वायु प्रदूषण में 44 फीसदी की कमी आई है। पिछले साल नवंबर में दिल्ली का AQI बढ़कर 900 के पार पहुंच गया था। जो अप्रैल में घटकर 20 तक आ गया था।
इस रिपोर्ट को लिखने वालों में से एक आईआईटी दिल्ली के श्रीहर्ष कोटा ने बताया कि अगर हम वायु प्रदूषण के इस स्तर को बनाकर रखते हैं तो हम 6.50 लाख भारतीयों की मौत रोक सकते हैं। ये मौतें वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों की वजह से होती हैं। भारत में 17 मई तक लॉकडाउन है। उम्मीद जताई जा रही है कि ये लॉकडाउन अभी कुछ और छूट के साथ आगे बढ़ाया जा सकता है. देश में 24 मार्च से लॉकडाउन जारी है।