नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के पार्षद रहे ताहिर हुसैन को कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुए दंगों के मामले में कोर्ट ने ताहिर हुसैन की जमानत अर्जी खारिज कर दी। कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि पहली नजर में ताहिर हुसैन की दंगों में संलिप्तता लगती है। कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया ताहिर हुसैन ने दंगों के लिए पैसे दिए और उसमें वो शामिल भी रहा।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर वाजपेयी ने कहा कि सरकारी वकील को सुनने और केस डायरी देखने के बाद कोर्ट इस नतीजे पर पहुंचा है कि ताहिर हुसैन के खिलाफ आरोप पहली नजर में सही हैं। कोर्ट ने कहा कि यूएपीए की धारा 15 के तहत ताहिर हुसैन की हरकतें आतंकवादी कृत्य की परिभाषा के तहत आ सकती हैं। ताहिर हुसैन के खिलाफ कई गवाह हैं। इन लोगों ने गवाही दी है कि किस तरह आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ने लोगों को भड़काया। उनको अपनी छत पर इकट्ठा किया और खुद उनसे कहा कि पेट्रोल बम फेंको। कोर्ट ने ये भी पाया कि दंगे के दो दिन पहले ताहिर हुसैन ने लाइसेंसी रिवॉल्वर जारी कराई और उससे फायरिंग की। कोर्ट ने कहा कि ताहिर हुसैन के घर से 22 कारतूस के खोखे मिले थे।
ताहिर हुसैन के 3 सह आरोपी देवांगना कलिता, नताशा नरवाल और आसिफ इकबाल तन्हा को दिल्ली हाईकोर्ट जमानत दे चुका है। दिल्ली में दंगा मामले में और भी कई आरोपी हैं। इनके खिलाफ दिल्ली पुलिस ने दंगा करने, हथियार इस्तेमाल करने, आगजनी और लूटपाट समेत कई धाराओं में केस दर्ज किए थे। कोर्ट ने 2023 में ताहिर हुसैन समेत 10 लोगों पर आरोप भी तय किए थे। उत्तर-पूर्व दिल्ली में ये दंगे बहुत भीषण हुए थे। इन दंगों के दौरान जमकर आगजनी हुई थी। कई लोगों की जान भी दिल्ली के दंगों में गई थी।