newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Muzaffarnagar: दानिश बना दिनेश और जरीना बना मिथलेश, 18 साल बाद मुस्लिम परिवार के 15 सदस्यों ने की हिंदू धर्म में वापसी, जानिए वजह

Muzaffarnagar: आज से तकरीबन 18 साल पहले एक डर ने इस परिवार को हिंदू से मुसलमान बना दिया था। यह डर कट्टरपंथियों का था। यह ओछी मानसिकता से जुड़े लोगों का डर था। यह डर था सामाज में विभाजन पैदा करने वाले तत्वों का।

नई दिल्ली। धर्मांतरण से जुड़ी बेशुमार खबरें आपकी नजरों से होकर गुजरती होंगी, जिन्हें आप कभी अखबारों की सुर्खियों में सिमटते देखते होंगे, तभी कभी टीवी स्क्रिन के दृश्यों पर तैरते, लेकिन अगर आपने गौर किया हो, तो इन मामलों में से अधिकांश में आपको हिंदू से इस्लाम धर्म अपनाने की स्थिति ही नजर आती होगी। विरले ही कभी कोई आपको ऐसा मामला दिखा होगा, जहां किसी ने इस्लाम से हिंदू धर्म में आस्था रखते हुए सनातनी बनने का निर्णय लिया हो। संभवत: आप हमारे उक्त कथन से सहमत भी हो, लेकिन आज हम आपको अपनी इस रिपोर्ट में एक मसले से रूबरू कराने जा रहे हैं, जहां दानिश ने दिनेश और जरिना ने मिथलेश बनने का फैसला किया। जी हां…दो मुस्लिमों की हिंदू धर्म के प्रति ऐसी अटूट आस्था देखकर आप हतप्रभ हो रहे होंगे, लेकिन यह सत्य है और ऐसा मामला उत्तर प्रदेश के जिला मुजफ्फनगर से सामने आया है, जहां मुस्लिम परिवार ने हिंदू बनने का फैसला किया है। आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

 यहां जानिए पूरा माजरा

आज से तकरीबन 18 साल पहले एक डर ने इस परिवार को हिंदू से मुसलमान बना दिया था। यह डर कट्टरपंथियों का था। यह ओछी मानसिकता से जुड़े लोगों का डर था। यह डर था सामाज में विभाजन पैदा करने वाले तत्वों का। इन्हीं डरों ने मिलकर इस परिवार को आज से 18 साल पहले हिंदू से मुसलमान बना कर रख दिया था। इनकी आस्था बदल दी गई थी। इनकी पूजा पद्धति बदल दी गई थी। इनके ईश्वर बदल दिए गए थे। इनके नाम और पहचान सब कुछ बदल दिए गए थे, लेकिन कल 18 साल बाद जब डर का बादल इनकी जिंदगी से छटा, तो इन्होंने हिंदू बनने का फैसला किया।

परिवार के कुल 15 सदस्य मुस्लिम से हिंदू बनें हैं। बाघरा श्री साधना आश्रम के यशवीर महराज ने इन सदस्यों को पूजा पद्धति से हिंदू से मुसलमान बनाया है। महाराज के मुताबिक, इन लोगों ने खुद आश्रम आकर घर वापसी की इच्छा जाहिर की थी और आज से 18 साल पहले हुए अपने साथ हुए हादसे का जिक्र कर बताया कि कैसे इन्हें बाध्य कर इस्लाम कुबूल करवाया गया था, लेकिन यह अपने मूल धर्म में वापसी करने के लिए बेताब थे। यह सभी वे सारे त्योहार मनाने के लिए बेकरार थे, जिन्हें ये दशकों पहले हर्षों उल्लास के साथ मनाया करते थे। लिहाजा, इनकी इच्छा और पीड़ा को जानकर महाराज ने इन्हें इनके मूल धर्म में वापसी करने में इनकी मदद की। इस परिवार के सभी सदस्य पास में ही मजदूरी कर अपनी आजीविका संचालित करते हैं।

conversion_1574769300

वहीं, हिंदू धर्म में आस्था रखने के बाद इन लोगों ने अपने नाम बदल लिए हैं। इनके नाम आज रहीसू का नाम यशपाल, जरीना का मिथलेश, शमी का बादल, सनी का दीपक, गुलबहार का संगीता, आसमां का कविता, आशिया का वंदना, आनिया का प्रतिमा, नीशा का नीशा देवी, सुलेखा का सरोज, असगर का बिल्लू कुमार, शकील का अमित, अशरफ का विनोद और दानिश का नाम दिनेश रखा गया है।

किसी ने नहीं किया मजबूर

वहीं, परिवार के सभी सदस्यों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इन्हें धर्म परिवर्तन करने के लिए किसी ने भी बाध्य नहीं किया है, अपितु  स्वेच्छा से अपने मूल धर्म में वापसी की है। परिवार के सदस्यों ने कहा कि मैं इसे धर्म परिवर्तन नहीं, बल्कि अपने मूल धर्म में वापसी कहना उचित समझूंगा।