नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में सेंध के बाद जिस तरह पंजाब सरकार के खिलाफ आवाजें उठीं, उस माहौल में सिखों को मोदी सरकार के खिलाफ भड़काने के लिए दो ट्विटर हैंडल्स से एक फर्जी वीडियो शेयर किया गया। इस वीडियो में दिखाने की कोशिश की गई कि पीएम मोदी ने कैबिनेट की एक बैठक की। इस बैठक में सिखों के खिलाफ कार्रवाई का फैसला किया गया। इस फर्जी वीडियो में दावा किया गया कि सेना और अन्य सरकारी नौकरियों से सिखों को हर हाल में निकाल बाहर किया जाए। आपसी भाईचारे को नुकसान पहुंचाने के लिए तैयार किए गए इस वीडियो के मामले में दिल्ली पुलिस ने अब केस दर्ज कर लिया है।
A tweet referring to a viral video claim that in a #Cabinet Committee meeting on Security, there was a call for the removal of Sikhs from the Indian Army.#PIBFactCheck
▶️ The claim is #Fake
▶️ No such discussion/meeting has taken place pic.twitter.com/ESec0ALjr3— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) January 7, 2022
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की साइबर यूनिट IFSO के डीसीपी केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि इस वीडियो को दो ट्विटर हैंडल से शेयर किया गया। ये ट्विटर हैंडल @simrankaur0507 और @eshalkaur1 हैं। मल्होत्रा के मुताबिक वीडियो में जो शॉट्स इस्तेमाल किए गए हैं, वे सीडीएस बिपिन रावत के निधन के बाद हुई कैबिनेट मीटिंग के हैं। सिखों को भड़काने के लिए फर्जी वीडियो बनाने वालों ने इसमें नया वॉयस ओवर जोड़ा है। उनका कहना है कि वीडियो के माध्यम से ये संदेश देने की कोशिश की गई कि मोदी सरकार सिख समुदाय के खिलाफ कार्रवाई के लिए तैयारी कर रही है।
A morphed video of Cabinet Committee meeting after CDS Gen Rawat’s demise has been circulated with the ill-intent to create social discord in Sikh community. Case has been registered against propagators of the said video on Social media. We urge you to exercise caution.@CPDelhi pic.twitter.com/5n9hej4h6A
— #DelhiPolice (@DelhiPolice) January 7, 2022
डीसीपी मल्होत्रा ने बताया कि इस तरह के दुष्प्रचार के लिए संबंधित हैंडल्स के खिलाफ आईपीसी की धारा 153-ए के तहत केस दर्ज किया गया है। उन्होंने लोगों से अपील की कि इस तरह के वीडियो पर कतई ध्यान न दें और एक बार जरूर सोचें कि क्या इस तरह का कोई फैसला कभी कोई भी सरकार कर सकती है। इस बारे में सरकार की एजेंसी पीआईबी ने भी अपने ट्विटर हैंडल पर वीडियो का स्क्रीनशॉट शेयर कर फैक्ट चेक में फर्जी करार दिया है। Newsroom Post भी आपसे अपील करता है कि इस तरह के फर्जी वीडियो पर कभी भी आंख मूंदकर विश्वास न करें।