रायबरेली। यूपी का रायबरेली जिला काफी समय से वीआईपी और गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है, लेकिन यहां के गांवों में जाइए, तो बदहाली की तस्वीरें सामने आती हैं। वो भी तब, जबकि रायबरेली की सांसद कांग्रेस की दिग्गज नेता सोनिया गांधी हैं। सोनिया यहां से लंबे वक्त से सांसद हैं। कांग्रेस ने यूपीए बनाकर 10 साल केंद्र में सरकार भी चलाई, लेकिन सोनिया अपने जिले के गांवों की हालत सुधार नहीं सकीं। ऐसे ही एक गांव की बदहाली को हिंदी अखबार ‘दैनिक हिंदुस्तान’ की खबर में बताया गया है। अखबार के मुताबिक रायबरेली के उंचाहार इलाके के उड़वा गांव की ये कहानी है और खास बात ये कि सोनिया गांधी ने इस गांव को गोद भी लिया था, लेकिन बदहाली न मिटी तो न मिटी। ऐसे में लोग गुस्से में हैं और उनका गुस्सा सोनिया के पैरों तले से यहां की सियासी जमीन खिसका सकता है।
उड़वा गांव मे ही 1857 की क्रांति के महानायकों में से एक राणा बेनीमाधव बक्श सिंह जन्मे थे। यहां के लोगों ने दैनिक हिंदुस्तान के रिपोर्टर को बताया कि सोनिया ने साल 2014 में गांव को गोद लिया था। इसके बाद भी गांव में न शिक्षा की व्यवस्था हो सकी और न ही कोई अस्पताल खुल सका। यहां के लोगों में से ज्यादातर खेती करते हैं, लेकिन उन्हें सिंचाई की व्यवस्था तक नहीं मिली। यहां के लोगों ने अखबार को बताया कि जनता ने कांग्रेस को सांसद और विधायक दिए, लेकिन हर बार ठगे गए। अब यहां के लोग भी पड़ोस के अमेठी जिले की तरह बदलाव का इंतजार कर रहे हैं।
यहां के लोगों ने ये भी बताया कि क्षेत्र से सपा के विधायक मनोज पांडेय हैं। वो लोगों को डराते-धमकाते हैं। सांसद सोनिया गांधी तो अब यहां आती भी नहीं। ऐसे में किससे शिकायत करने जाएं। बता दें कि रायबरेली का पड़ोसी जिला अमेठी है और वहां भी बदहाली लंबे समय तक रही। जिसके बाद क्षेत्र की जनता ने 2019 के चुनाव में सोनिया गांधी के बेटे और कांग्रेस के अध्यक्ष रहे राहुल गांधी को हरा दिया और स्मृति ईरानी को सांसद चुना। स्मृति के सांसद बनने के बाद अमेठी में विकास की बयार बही है और केंद्र सरकार की तमाम योजनाएं यहां लागू हुई हैं। जबकि, राहुल के सांसद रहते साइकिल फैक्ट्री के लिए जमीन आवंटित होने के बाद भी ये नहीं लगी थी और सिर्फ हर बार वादे ही मिले थे।