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Scary: बेंगलुरु में हुए डॉक्टरों के सम्मेलन से ओमिक्रॉन फैलने की आशंका, यहीं से मिला पहला मरीज

जिस डॉक्टर में ओमिक्रॉन पाया गया है, वो भी इस सम्मेलन में मौजूद था। वो कुछ घंटों के लिए ही सम्मेलन में शामिल हुआ। दूसरे दिन ही उसमें कोरोना के लक्षण दिखने लगे। अब तक कोरोना वायरस 5 से 10 दिन बाद ही लक्षण दिखाता था।

बेंगलुरु। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में 19 से 21 नवंबर तक हुए डॉक्टरों के एक सम्मेलन पर सरकार ने निगाहें गड़ा दी हैं। इस सम्मेलन के बाद ही बेंगलुरु के एक डॉक्टर में कोरोना का ओमिक्रॉन वैरिएंट मिला। माना जा रहा है कि सम्मेलन में आए किसी डॉक्टर में ही ओमिक्रॉन था और उसी से सम्मेलन में आए डॉक्टर को वायरस मिला। वजह ये भी है कि जिस डॉक्टर को ओमिक्रॉन पीड़ित पाया गया है, उसकी कोई ट्रैवेल हिस्ट्री भी नहीं है। एक अंग्रेजी अखबार ने इंडियन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के 28वें सम्मेलन का आयोजन करने वालों में से एक डॉक्टर के हवाले से ये खबर दी है। इस आयोजक ने अखबार को बताया कि जिस डॉक्टर में ओमिक्रॉन पाया गया है, वो भी इस सम्मेलन में मौजूद था। वो कुछ घंटों के लिए ही सम्मेलन में शामिल हुआ। दूसरे दिन ही उसमें कोरोना के लक्षण दिखने लगे। अब तक कोरोना वायरस 5 से 10 दिन बाद ही लक्षण दिखाता था। ऐसे में दो थ्योरी हैं। पहला कि ये डॉक्टर पहले से ही वायरस पीड़ित हो, या फिर वायरस का ओमिक्रॉन वैरिएंट जल्दी ही लक्षण दिखा देता हो। अगर डॉक्टर पहले से पीड़ित था, तो इसका मतलब ये है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट भले ही 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका में पहली बार मिला, लेकिन भारत में ये उससे भी कई दिन पहले पहुंच गया था।

corona virus

अखबार ने खबर में लिखा है कि डॉक्टरों के सम्मेलन के बाद डिनर भी हुआ। इस दौरान यहां आए लोग मास्क भी नहीं लगाए हुए थे। यहां आए डॉक्टरों में से एक में ओमिक्रॉन और तीन में डेल्टा वैरिएंट मिला है। पांचवें डॉक्टर की जिनोम सीक्वेंसिंग की रिपोर्ट अभी आनी है। ये सभी डॉक्टर आपस में मिले थे। ऐसे में आशंका है कि तमाम अन्य डॉक्टरों को भी ओमिक्रॉन या डेल्टा वैरिएंट अपना शिकार बना चुका होगा।

आयोजक ने अखबार को बताया कि विदेश से कोई डॉक्टर इस ईवेंट में नहीं आया था। सम्मेलन में भारत से करीब 50 डॉक्टर शामिल हुए थे। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में आए सभी डॉक्टरों को कोविड वैक्सीन की दोनों डोज लगी हुई थीं। इससे साफ है कि डेल्टा और ओमिक्रॉन वैरिएंट से वैक्सीन लगा चुके लोग भी ग्रस्त हो सकते हैं। इस सम्मेलन में ऑपरेशन थियेटर में काम करने वाले 163 कर्मचारी भी शामिल हुए थे। इनमें से किसी को भी कोई लक्षण नहीं हैं। इन सभी की दोबारा टेस्टिंग कराई जा रही है।