
नई दिल्ली। हाथरस मामले में की गंभीरता को देखते हुए योगी सरकार ने जहां SIT का गठन पहले ही कर दिया था, तो वहीं अब इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी अपनी जांच तेज कर दी है। बता दें कि हाथरस मामले में ईडी ने पुलिस से एफआईआर की कॉपी हासिल कर ली और जांच की कार्रवाई शुरू कर दी है। बता दें कि हाथरस मामले के सहारे यूपी में योगी सरकार को बदनाम करने और राज्य में जातीय हिंसा भड़काने के मकसद से एक वेबसाइट भी बनाई गई थी, जिसका मकसद दुष्प्रचार करना था। इसी मामले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपनी कार्रवाई की तेज कर दी है। चंदपा थाने में दर्ज एफआईआर की प्रति हासिल करने के बाद एफआईआर के आधार पर आरोपियों के खिलाफ ईडी मनी लांड्रिंग का भी केस दर्ज करेगी। इसके अलावा दिल्ली से हाथरस जा रहे PFI से संबंध रखने वाले 4 लोगों को मथुरा पुलिस ने गिरफ्तार किया है, ईडी इन लोगों से भी जल्द ही पूछताछ करेगी।
लगाई गई धाराएं
गौरतलब है कि हाथरस के चंदपा थाने में दर्ज की गई एक एफआईआर की कॉपी मिलने के बाद ही ईडी के लखनऊ जोन कार्यालय की टीम सक्रिय हो गई थी। इस मामले में मुकदमा अपराध संख्या 151/2020 में आईपीसी की धारा 109, 120 बी, 124 ए, 153 ए, 153 ए (1), 153 ए (1) बी, 153 ए(1) सी, 153 बी, 195, 195 ए, 465, 468, 469, 505 (1)(बी), 505 (1) (बी), 505 (1)(सी) व 505 (2) के अलावा आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
बता दें कि हाथरस मामले को लेकर यूपी में शांति व्यवस्था बिगाड़ने को लेकर पूरी तरीके से साजिश रची गई थी। इसके लिए कोरोड़ों रुपये की फंडिग होने की भी बात सामने आई है। इस मामले में अज्ञात आरोपियों पर सुनियोजित तरीके से साजिश रचकर पूरे प्रदेश में अमन-चैन बिगाड़ने व जातीयविद्वेष फैलाने के उद्देश्य से पीड़ित परिवार को धमकाने, गलतबयानी करने के लिए दबाव बनाने और उन्हें 50 लाख रुपये का प्रलोभन देने का आरोप है।
ईडी का कहना है कि धारा 153 ए के तहत आने वाला मामला प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत अधिसूचित अपराध है। इस अपराध को करने के उद्देश्य से जितना पैसा जुटाया गया है उसे पीएमएलए के तहत जब्त किया जा सकता है। इसके साथ ही आरोपियों को गिरफ्तार भी किया जा सकता है
न्यायालय में दोषसिद्ध हुआ तो मिलेगी सात साल की सजा
बता दें कि इस साजिश में अगर आरोपियों पर आरोप सिद्ध होता है तो इसमें सात साल की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा जिस तरह से दंगा भड़काने के लिए जस्टिस फॉर हाथरस नाम से वेबसाइट बनाई गई थी, उसके देखते हुए अब इस वेबसाइट की भी जांच होगी। ईडी की टीम उस वेबसाइट की जांच कर रही है, इसके जरिए ‘जस्टिस फार हाथरस विक्टिम अभियान चलाया गया। ईडी यह पता लगाने की कोशिश में है, कि आखिर इसका डोमेन किसने खरीदा और इसके लिए किस मेल आईडी और फोन नंबर का प्रयोग किया गया। आगे जांच शुरू होने पर यह भी पता लगाया जाएगा कि इस वेबसाइट के माध्यम से कितना धन आया और कहां-कहां गया? साथ ही ईडी इस बात की भी तलाश में है कि इस डोमेन को कहां-कहां से संचालित किया गया, इसके लिए ईडी आईपी ट्रैफिक का सहारा लेगी।