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Rajasthan: गहलोत सरकार में शिक्षा-व्यवस्था की खुली पोल, कहीं स्कूलों में नहीं है मूलभूत सुविधाएं; तो कहीं पढ़ाया जा रहा है ‘अब्बू -अम्मी’ का पाठ

Rajasthan: राजस्थान के जैसलमेर में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में पानी की एक-एक बूंद के लिए शिक्षक और बच्चे तरसना पड़ रहा है। देश का ऐसा सीनियर स्कूल जहां बच्चे और शिक्षकों को पीने के लिए पानी मिलकर खुले कुएं से सींचकर लाना पड़ता है। साथ ही कोई छात्र कुएं में न गिरे जाए इसके लिए शिक्षक ही सींचकर केंपर भरते है।

नई दिल्ली। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार में शिक्षा की व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है। स्कूलों की व्यवस्था  इस कदर बदहाल है कि छात्राओं को जर्जर कक्षाओं में पढ़ना पड़ रहा है। इसके साथ ही शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले  स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं तक मुहैया नहीं करवाई जा रही है। कई स्कूलों में अध्यापकों की कमी, तो कहीं पानी की समस्या या फिर शौचालय आदि जैसी मूलभूत सुविधा नहीं है। इतना ही नहीं राजस्थान के स्कूलों के हालात ऐसे हैं कि लावारिश मवैशी स्कूलों में खुलेआम घूम रहे हैं। इसके अलावा गहलोत सरकार में गैर-मुस्लिम बच्चों को ‘अम्मी-अब्बू’ बोलने की ‘ट्रेनिंग’ भी दी जा रही है। आज इस आर्टिकल में हम आपको राजस्थान के कुछ ऐसे ही स्कूलों की बदहाली के बारे में बताएंगे। जिसने अशोक गहलोत सरकार की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है।

Ashok Gehlot

भीलवाड़ा-

सबसे पहले बात करते है भीलवाड़ा, जहां उपनगर पुर के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के हालात इस कदर बुरे हैं कि बरसात के मौसम में कक्षाओं में पानी टपक रहा है। स्कूल की दीवारें पूरी तरह से जर्जर हो गई है। जिससे गुस्साएं छात्राओं ने स्कूल के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया और विरोध प्रदर्शन किया। छात्राओं का कहना है कि बरसात के मौसम में स्कूल के बैठना मुश्किल हो रहा है। इतना ही नहीं छात्राओं ने स्कूल प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि ना तो शौचालय में दरवाजे है और ना ही भवन की मरम्मत करवाई। इसके अलावा स्कूल के अंदर ही गंदगी और कूड़े का अंबार भी लगा हुआ है।

जैसलमेर-

वहीं राजस्थान के जैसलमेर में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में पानी की एक-एक बूंद के लिए शिक्षक और बच्चे तरसना पड़ रहा है। देश का ऐसा सीनियर स्कूल जहां बच्चे और शिक्षकों को पीने के लिए पानी मिलकर खुले कुएं से सींचकर लाना पड़ता है। साथ ही कोई छात्र कुएं में न गिरे जाए इसके लिए शिक्षक ही सींचकर केंपर भरते है। क्लास 11 वीं और 12 वीं के छात्र उन केपर को लाकर स्कूल में रखते हैं ताकि छात्राएं पानी पी सके। विद्यालय में लंबे समय से नौकरी कर रहे अध्यापकों ने बताया कि, पहले पानी मटकी में लाते थे और अब कैंपर में लाते हैं। कभी-कभी चंदा करके पानी का टैंकर भी टांके में डलवा दिया जाता है जिससे पानी टंकी में भरकर के नल से बच्चों को आसानी से पिलाया जा सके।

टोंक-

वहीं, राजस्थान के टोंक में एक सरकारी स्कूल का नजारा देखकर आप इस बात का अंदाजा नहीं लगा सकते है। ये छात्रों का पढ़ने वाला स्कूल है। जहां इन दिनों उनियारा उपखण्ड क्षेत्र का एक सरकारी स्कूल पूरी तरह से तालाब में तब्दील हो गया है। हालात इस कदर बदहाल की स्कूल में भरे गंदे पानी के चलते छात्र और शिक्षक स्कूल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। जिसकी वजह से शिक्षकों को स्कूल के पास स्थित मंदिर में बच्चों की क्लास लेनी पड़ रही है।

कोटा-

राजस्थान की शिक्षा नगरी कहे जाने वाला कोटा में गैर मुस्लिम परिवार के बच्चों को जबरन ‘अब्बू -अम्मी’ और बिरयानी खिलाने का पाठ सिखाया जा रहा है। गुलमोहर नाम की किताब हैदराबाद से पब्लिकेशन होने की बात सामने आई है। लोगों ने ये भी आरोप लगाया है कि प्राइवेट स्कूलों की बुक में ऐसे अध्याय पढ़ाकर बच्चों को हिंदू संस्कृति से दूर किया जा रहा है। आपको बता दें कि गुलमोहर नाम की इस बुक को हैदराबाद पब्लिकेशन ने छापी है। जिसकी कीमत 352 रूपये है।

अगर किताब के पहले चैप्टर में नजर डाले तो इसमें ज्यादातर करैक्टर के नाम इग्लिंश में रख गए है।  बुक के पहले अध्याय जिसका नाम है ‘टू बिग! टू स्मॉल’ जिसमें बच्चे को नए शब्द के रूप में मां को अम्मी और पिता को अब्बू बोलना सिखाया जा रहा है।

आपको बता दें कि अगले साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में गहलोत राज में जिस तरह से शिक्षा व्यवस्था चरमराई हुई है उससे कहीं सीएम अशोक गहलोत के लिए मुश्किलें न खड़ी हो जाए। ध्यान रहे है कि कई मौकों पर मुख्यमंत्री शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर काम करने के दावे कर चुके है, लेकिन जिस तरह से इन स्कूलों में बदहाल व्यवस्था की तस्वीरें सामने आई है, जिससे राजस्थान की कांग्रेस सरकार के तमाम दावे खोखले साबित होते दिखाई दे रहे हैं।