
कोलकाता। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक बार फिर अमेरिका और यूरोप को खरी-खरी सुनाते हुए जमकर धोया है। जयशंकर ने इस बार दोनों को कूटनीति पर नसीहत दी है। विदेश मंत्री ने बताया कि आखिर कूटनीति का मतलब क्या होता है। जयशंकर इससे पहले भी यूरोप और अमेरिका को रूस से कच्चा तेल खरीदने के भारत के फैसले पर नसीहत दे चुके हैं। अमेरिका और यूरोप लगातार ये सवाल उठाते रहे थे कि भारत आखिर रूस से कच्चा तेल क्यों खरीद रहा है। आपको बताते हैं कि विदेश मंत्री जयशंकर ने इस बार अमेरिका और यूरोप को कूटनीति का क्या अहम पाठ पढ़ाया और किस तरह धोया है।
कोलकाता में आईआईएम के कार्यक्रम में बुधवार को जयशंकर बतौर चीफ गेस्ट गए थे। वहां उनसे भारत की विदेश नीति और कूटनीति पर सवाल जवाब हुए। अमेरिका, यूरोप, यूक्रेन और रूस से रिश्तों पर एक सवाल जयशंकर से पूछा गया था। इसी पर जयशंकर ने अपने ही अंदाज में भारत को नसीहत देने वालों को कूटनीति का ज्ञान दे दिया। बता दें कि विदेश मंत्री बनने से पहले जयशंकर विदेश सचिव हुआ करते थे। जयशंकर ने कहा कि कूटनीति रोटी और मक्खन का मुद्दा है। अगर भारतीय पेट्रोल की कम कीमत देता है, सही वक्त पर किसान को खाद मिलती है, भारत के किसी घर में भोजन का सामान सही कीमत पर मिलता है, तो मेरे हिसाब से वही सफल कूटनीति है।
“Diplomacy is bread & butter issue.If an Indian consumer is paying less for the petrol, an Indian farmer is assured of fertilizer at the right time, an Indian house hold is getting food at right price, to me these ar really benchmark of successful diplomacy”, says EAM Jaishankar pic.twitter.com/znpvXkfirK
— Sidhant Sibal (@sidhant) November 2, 2022
जयशंकर ने इससे पहले अपने विदेश दौरे में इसी तरह के सवाल पर अमेरिका और यूरोप को जवाब दिया था। जयशंकर ने साफ कहा था कि भारत की विदेश नीति किसी की मोहताज नहीं है। उन्होंने कहा था कि भारत की मर्जी है कि वो किससे कच्चा तेल खरीदे। उन्होंने कहा था कि देश के 130 करोड़ नागरिकों के हित का ध्यान रखना सरकार का काम है। जयशंकर ने आंकड़ों के जरिए अमेरिका और यूरोप के देशों को बताया था कि जितना कच्चा तेल भारत एक महीने में रूस से खरीद रहा है, उतना तो यूरोप के देश अब भी एक ही दिन दोपहर तक खरीद लेते हैं। जयशंकर का ताजा बयान इसलिए भी अहम है, क्योंकि रूस और यूक्रेन में जंग की वजह से यूरोप और अमेरिका समेत तमाम देशों में महंगाई बढ़ रही है। जबकि, महंगाई के मामले में भारत सिर्फ 7.4 फीसदी की दर से 10वें नंबर पर है।