नई दिल्ली। किसान कानूनों के खिलाफ दिल्ली में हो रहा किसानों का प्रदर्शन अब सवालों के घेरे में घिरता जा रहा है। बता दें कि इससे पहले खालिस्तान समर्थित नारों को लेकर भी इस आंदोलन पर सवाल खड़े हुए थे वहीं अब इसी साल दिल्ली में हुए दंगों के आरोपियों और अर्बन नक्सिलयों को रिहा करने की मांग ने इस प्रदर्शन पर बड़ा प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। बता दें कि सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो और फोटोज वायरल हो रही हैं जिसमें अर्बन नक्सलियों और दिल्ली दंगे में शामिल आरोपियो को रिहा करने की मांग की जा रही है। बता दें कि खबरों के मुताबिक भारतीय किसान यूनियन (BKU उगराह) ने मानवाधिकार दिवस पर गुरुवार (10 दिसंबर 2020) को माओवादी-नक्सलियों के साथ संबंध के आरोप में ‘गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) संशोधन विधेयक (यूएपीए) UAPA के तहत गिरफ्तार किए गए कई आरोपितों की रिहाई की मांग की है।
पोस्टर्स में जिन लोगों को रिहा करने की बात कही गई है, उनमें यूएपीए के तहत गिरफ्तार हुए शरजील इमाम का भी जिक्र है। बता दें कि शरजील इमाम ने असम को भारत से काटने की बात की थी। इसके अलावा इसमें उमर खालिद, गौतम नवलखा, पी वरवरा राव, वर्नन गोंज़ाल्वेस, अरुण फरेरा और कथित मानवाधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज सहित 20 से अधिक आरोपितों की तस्वीरें प्रदर्शन के दौरान टिकरी सीमा के पास एक मंच पर लगाई जाएंगी। बताया जा रहा है कि कई मानवाधिकार समूहों के भी इसमें भाग लेने की उम्मीद है।
To those saying that Pics are Photo shopped.. See in Video the Posters the “Farmers” are holding #FarmersWithModi #FarmersProtests pic.twitter.com/4NoB3nSGxR
— Rosy (@rose_k01) December 10, 2020
कुछ लोग इन पोस्टर्स को फेक बता रहे हैं तो वहीं कुछ यूजर्स ने इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर अपलोड किया है। बीकेयू (उगराह) के वकील और समन्वयक एनके जीत ने कहा कि जेलों में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को रिहा करने को लेकर पहले दिन से ही ये मांग रही है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने कहा है कि शहरी नक्सलियों, कॉन्ग्रेस और खालिस्तानियों द्वारा कृषि आंदोलन को भड़काया गया है। एनके जीत ने कहा कि शहरी नक्सल लोगों पर मुकदमा चलाने का यह एक बहाना है और पंजाब में लोगों को स्टेट टेररिज्म और आतंकवादियों के बीच फंसाया जाता है जबकि नक्सलवाद ने आदिवासी लोगों को उनके अधिकार दिलाने में मदद की है।”