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सरकार और किसानों के बीच 7वें दौर की बैठक भी बेनतीजा, अब 8 जनवरी को होगी अगली बैठक

कृषि कानूनों (Farmers Law) के खिलाफ किसानों के आंदोलन (Farmers Protest) का आज 38वें दिन भी जारी है। किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली-यूपी-हरियाणा बॉर्डर पर डटे हुए हैं। कड़ाके की सर्दी और बारिश के बीच भी प्रर्दशन जारी है।

नई दिल्ली। कृषि कानूनों (Farmers Law) के खिलाफ किसानों के आंदोलन (Farmers Protest) का आज 38वें दिन भी जारी है। किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली-यूपी-हरियाणा बॉर्डर पर डटे हुए हैं। कड़ाके की सर्दी और बारिश के बीच भी प्रर्दशन जारी है। हालांकि, सरकार ने किसानों की कई मांगों पर सहमति जता दी है, लेकिन किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर अड़े हुए हैं। इसी बीच सोमवार को किसानों और सरकार की 7वें दौर की बातचीत शुरू हो गई है। जिससे किसानों को काफी उम्मीद है। वहीं, कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए बॉर्डर पर सुरक्षा बल तैनात है।

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अपड़ेट

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज की बैठक के बारे में कहा, “चर्चा का माहौल अच्छा था परन्तु किसान नेताओं के कृषि क़ानूनों की वापसी पर अड़े रहने के कारण कोई रास्ता नहीं बन पाया।” तोमर ने कहा, “चर्चा जिस हिसाब से चल रही है, किसानों की मान्यता है कि सरकार इसका रास्ता ढूंढे और आंदोलन समाप्त करने का मौका दे।”


नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, “हम चाहते थे कि किसान यूनियनें तीनों कानूनों पर क्लॉज वाइज (खण्ड वार) चर्चा करें। हम किसी भी समाधान तक नहीं पहुंच सके क्योंकि किसान यूनियन कानूनों को निरस्त करने पर अड़े रहे।” तोमर ने कहा, “आज की चर्चा को देखते हुए मुझे आशा है कि अगली बैठक के दौरान सार्थक चर्चा होगी और हम निष्कर्ष पर पहुंचेंगे”


तोमर ने कहा, “हम चाहते  हैं कि किसान यूनियन की तरफ से वो विषय आए जिस विषय में किसान को कोई परेशानी होने वाली है, उस विषय पर सरकार खुले मन से विचार करने को तैयार है।” उन्होंने कहा, “सरकार देशभर के किसानों के प्रति प्रतिबद्ध है। सरकार जो भी निर्णय करेगी, सारे देश को ध्यान में रखकर ही करेगी।”


वहीं, सरकार के साथ किसान नेताओं की मुलाकात के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, “8 तारीख (8 जनवरी 2021) को सरकार के साथ फिर से मुलाकात होगी। तीनों कृषि क़ानूनों को वापिस लेने और MSP, दोनों मुद्दों पर 8 तारीख को फिर से बात होगी। हमने बता दिया है क़ानून वापसी नहीं, तो घर वापसी नहीं।”


एक अन्य किसान नेता ने कहा, “हमने सरकार को बताया कि पहले कृषि क़ानूनों को वापिस किया जाए, MSP पर बात बाद में करेंगे। 8 तारीख तक का समय सरकार ने मांगा है। उन्होंने कहा कि 8 तारीख को हम सोचकर आएंगे कि ये क़ानून वापिस हम कैसे कर सकते हैं, इसकी प्रक्रिया क्या हो।”


किसान नेता दर्शन पाल ने कहा, “सरकार को यह बात समझ आ गई है कि किसान संगठन कृषि क़ानूनों को रद्द किए बिना कोई बात नहीं करना चाहते हैं। हमसे पूछा गया कि क्या आप क़ानून को रद्द किए बिना नहीं मानेंगे, हमने कहा हम नहीं मानेंगे।”

जेडीयू नेता के.सी. त्यागी ने कहा कि आज सरकार और किसानों के बीच बातचीत का 7वां दौर है। सरकार ने कुछ सकारात्मक संदेश दिए हैं। हमें आशा हैं कि सरकार और किसान किसी नतीजे पर पहुंचेंगे ताकि किसानों को राहत मिल सके।

केंद्रीय मंत्री सोम प्रकाश ने विज्ञान भवन में किसान प्रतिनिधियों से मुलाकात की।

विरोध प्रदर्शन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के लिए​ केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल, सोमप्रकाश ने किसान नेताओं के साथ विज्ञान भवन में दो मिनट का मौन रखा।

विज्ञान भवन में किसानों और केंद्र सरकार के बीच सातवें दौर की वार्ता शुरू हुई। बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और सोमप्रकाश मौजूद हैं।

किसान प्रतिनिधियों ने विज्ञान भवन में दोपहर के भोजन के दौरान भोजन किया, जहां सरकार तीन कृषि कानूनों पर किसानों के साथ बातचीत कर रही है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को किसान आंदोलन पर ट्वीट किया है। उन्होंने कहा, ”ठंड और बारिश के बीच सड़कों पर डटे हमारे किसानों के हौंसले को सलाम। मेरी केंद्र सरकार से अपील है कि आज की बैठक में किसानों की सारी मांगें मानते हुए तीनों काले कानून वापस लिए जाएं।”

दिल्ली में विज्ञान भवन में बैठक के लिए जाने से पहले किसान नेता। आज किसानों और केंद्र सरकार के बीच सातवें दौर की वार्ता होनी है।

किसानों संग आज होने वाली बातचीत को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि आज कुछ सकारात्मक नतीजा निकलेगा.।बैठक में हर विषय पर मंथन होगा।

गाजीपुर बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन 38वें दिन भी जारी है। प्रदर्शन में बौध भिक्षुओं ने हिस्सा लिया। एक बौध भिक्षु ने बताया, “हम लखनऊ से आए हैं।किसान सड़क पर है इसलिए हम मठों को छोड़ किसानों के साथ आए हैं।जब तक कानून वापस नहीं होंगे हम नहीं जाएंगे।”

राजधानी दिल्ली में काफी बारिश हुई। जिसकी वजह से किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। चीला बॉर्डर (दिल्ली-नोएडा बॉर्डर) पर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों ने टेंट में शरण ली।

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कृषि कानूनों के खिलाफ बुराड़ी के निरंकारी समागम ग्राउंड में किसानों का प्रदर्शन जारी है। फरीदकोट के ज़िला प्रधान बिंदर सिंह गोले वाला ने बताया, “आज की बैठक में तीन कानूनों को रद्द करने की बात चलेगी। उम्मीद है कि बैठक में कुछ हल निकलेगा, अगर नहीं निकला तो हमारा संघर्ष चलता रहेगा।”

किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के सुखविंदर सिंह सभरा ने आज की बैठक को लेकर कहा कि अगर आज तीनों कानूनों को निरस्त करने की बात नहीं बनती और MSP गारंटी का कानून नहीं आता तो हमारे अगले कार्यक्रम पहले से ही तैयार हैं। 6 जनवरी को ट्रैक्टरों पर मार्च किया जाएगा, 7 जनवरी को देश को जगाने की कवायद शुरू होगी।