नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख के डेपसांग, डेमचोक और सीएनए जंक्शन पर सैन्य गतिरोध को दूर करने के लिए भारत और चीन के बीच पहली बार मेजर जनरल स्तर की बातचीत हुई है। भारत और चीन के बीच मेजर जनरल स्तर की बातचीत चुशूल-मोल्डो में हुई। भारत की तरफ से चीन के मेजर जनरल स्तर के अफसर से भारतीय सेना की त्रिशूल डिवीजन से मेजर जनरल पीके मिश्रा और यूनिफॉर्म फोर्स की तरफ से मेजर जनरल हरिहरन ने बैठक की। दोनों पक्षों ने सैन्य गतिरोध जल्दी दूर करने के उपायों पर चर्चा की। बता दें कि पूर्वी लद्दाख के डेपसांग और डेमचोक समेत कुछ इलाकों में साल 2013 में चीन की फौज ने घुसपैठ की थी। उसकी सेना ने फिलहाल इन जगहों को खाली नहीं किया है और चीन लगातार बहानेबाजी कर रहा है।
मेजर जनरल स्तर की बातचीत से पहले भारत और चीन के बीच सैन्य कमांडर स्तर की 19वें दौर की बातचीत बीते दिनों हुई थी। इस बातचीत में भारत और चीन ने सैन्य गतिरोध जल्दी दूर करने और एलओसी पर शांति बनाए रखने के उपायों पर चर्चा की थी। साल 2020 में चीन की सेना गलवान घाटी और पेंगोंग सो झील में फिंगर 4 तक भी घुस आई थी। गलवान घाटी में भारतीय सेना और चीन के जवानों में खूनी संघर्ष हुआ था। जिसमें भारत के कर्नल बी. संतोष बाबू समेत 20 जवान शहीद हुए थे। चीन के भी 40 से ज्यादा सैनिक मौत के घाट उतारे गए थे। इसके बाद लंबी तनातनी चली और फिर चीन और भारत ने एलएसी पर विवाद की जगहों को बफर जोन घोषित किया। इन बफर जोन से भारत और चीन की सेना हट गई है।
पिछले दिनों खबर आई थी कि चीन के साथ लद्दाख में सैन्य गतिरोध के चरम पर भारत ने वहां 59000 से ज्यादा सेना के जवान तैनात किए थे। इसके अलावा बड़ी संख्या में टैंक, बख्तरबंद वाहन, ड्रोन और लड़ाकू विमानों की भी लद्दाख में तैनाती की गई थी। भारत की इस जवाबी कार्रवाई को देखकर चीन के हौसले पस्त पड़े थे। हालांकि, अब भी वो डेमचोक, डेपसांग और सीएनए जंक्शन समेत कई इलाकों को अपना बताकर अड़ा हुआ है।