नई दिल्ली। साल 2020 के फरवरी महीने में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के मामलों में से एक में कोर्ट का फैसला आ गया है। कोर्ट ने इस मामले में आरोपी को बरी कर दिया। आरोपी पर भीड़ का हिस्सा बनकर दुकानों में लूटपाट करने का इल्जाम पुलिस ने लगाया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने सुरेश उर्फ भटूरा को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि आरोपी को कोई पहचान नहीं सका। साथ ही उसके खिलाफ पेश किए गए सबूत और गवाहों के बयान भी अलग हैं। ऐसे में सुरेश को सजा देने का कोई मामला नहीं बनता है।
आसिफ नाम के शख्स ने सुरेश के खिलाफ लूटपाट की शिकायत की थी। उसने पुलिस से कहा था कि 25 फरवरी 2020 को बाबरपुर रोड पर एक भीड़ ने उसकी दुकान में तोड़फोड़ करने के बाद लूटपाट की थी। यह दुकान भगत सिंह नाम के व्यक्ति की है। उसने ही आसिफ को किराए पर दुकान दी थी। भगत सिंह ने इस मामले में पुलिस को बताया था कि भीड़ के कुछ लोगों से उसकी बहस भी हुई थी। इस घटना की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद दिल्ली पुलिस के जांच अधिकारी ने सुरेश उर्फ भटूरा को गिरफ्तार किया था।
सुरेश खुद गांधीनगर इलाके में कपड़े की एक दुकान पर काम करता था। उसने पुलिस के आरोपों को गलत बताया था। दिल्ली में हुए दंगों के मामले में अभी तमाम मुकदमे अदालत में चल रहे हैं। नागरिकता देने संबंधी केंद्र सरकार के कानून यानी सीएए के विरोध में आंदोलन शुरू होने के बाद अचानक दिल्ली में दंगे भड़क गए थे। दंगे उस समय भड़के थे, जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दिल्ली आए हुए थे।
केंद्र सरकार और बीजेपी ने आरोप लगाया था कि ट्रंप के दौरे के वक्त देश की राजधानी में उथल-पुथल का माहौल बनाने के लिए सुनियोजित तरीके से दंगे भड़काए गए। दंगों में पुलिसकर्मी और खुफिया ब्यूरो के अधिकारी समेत 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। इस संबंध में दिल्ली पुलिस ने 712 एफआईआर दर्ज की थीं।