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Politics: कारसेवकों पर गोली से बेटे की बगावत तक, 83 साल के मुलायम की जिंदगी से जुड़ी हैं कई घटनाएं

मुलायम सिंह ने यूपी की कमान 3 बार बतौर सीएम संभाली। वह केंद्र में रक्षा मंत्री भी रहे। अपने इस सियासी जीवन में मुलायम के साथ कई विवाद भी जुड़े।

लखनऊ। सपा सुप्रीमो रहे मुलायम सिंह यादव का आज 83वां जन्मदिन है। यूपी की सियासत में फिलहाल उनसे बुजुर्ग कोई नेता नहीं है, लेकिन बेटे अखिलेश यादव के सपा का कमान संभालने के बाद से मुलायम सिंह सियासत के पर्दे से फिलहाल बाहर हैं। मुलायम सिंह ने यूपी की कमान 3 बार बतौर सीएम संभाली। वह केंद्र में रक्षा मंत्री भी रहे। अपने इस सियासी जीवन में मुलायम के साथ कई विवाद भी जुड़े। वहीं, बेटे अखिलेश यादव की बगावत के बाद भाई शिवपाल सिंह यादव से अलगाव भी उन्हें देखने को मिला। समाजवादी पार्टी आज मुलायम के जन्मदिन पर बड़ा कार्यक्रम करने वाली है। इसमें अखिलेश यादव शामिल होंगे। सपा से अलग होने के बाद शिवपाल यादव अपने बड़े भाई का जन्मदिन अलग से मनाते रहे हैं। बहरहाल बात करते हैं मुलायम के सियासी सफर की। मुलायम सिंह 1939 में इटावा में जन्मे। तीन बार यूपी का सीएम रहने के दौरान 1990 में अयोध्या में विवादित ढांचे पर चढ़े कारसेवकों पर उन्होंने फायरिंग कराई। इसमें तमाम कारसेवकों की मौत हुई। इस घटना के बाद मुलायम सिंह मुसलमानों के नेता के तौर पर फेमस हुए। एक और बड़े विवाद में उनका नाम आया, जब 1 अक्टूबर 1994 को मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा में अलग उत्तराखंड की मांग कर रहे आंदोलनकारियों पर पुलिस ने फायरिंग की। इससे 7 लोगों की मौत हो गई। आंदोलनकारियों ने आरोप लगाया कि फायरिंग के अलावा यूपी पुलिस ने महिलाओं से गैंगरेप भी किया।

akhilesh-and-Mulayam

मुलायम सिंह को वैसे तो राजनीति में चरखा दांव चलने वाला और विपक्ष को पटकनी देने वाला माना जाता है, लेकिन वह अपने बेटे अखिलेश यादव की बगावत को भांपने में नाकाम रहे। मुलायम के खिलाफ अखिलेश की बगावत की ये कहानी साल 2017 की है। तब अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। 1 जनवरी 2017 को उन्होंने अपने चाचा रामगोपाल यादव के साथ मिलकर लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया। इसी अधिवेशन में अखिलेश ने पार्टी में तख्तापलट करते हुए मुलायम सिंह यादव के राज को खत्म कर दिया और खुद पार्टी के अध्यक्ष बन गए।

Akhilesh Yadav,SP President

अखिलेश यादव का अपने चाचा शिवपाल में लंबे समय से टकराव चला। अक्टूबर 2016 में सार्वजनिक मंच पर ही दोनों के बीच तू-तू, मैं-मैं भी हुई। मुलायम सिंह यादव ने सपा के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी अखिलेश से छीनकर शिवपाल को दे दी। जिसके बाद अखिलेश ने शिवपाल को मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया था। इसके बाद मुलायम सिंह ने 30 दिसंबर 2016 को अखिलेश और भाई रामगोपाल यादव को सपा से निकाल दिया। इसके अखिलेश ने 212 विधायकों के समर्थन से शक्ति प्रदर्शन करते हुए गेंद अपने पाले में कर लिया।