बेंगलुरु। कर्नाटक विधानसभा की 224 सीटों के लिए आज वोटिंग होने जा रही है। सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक 5 करोड़ से ज्यादा मतदाता अपनी पसंदीदा पार्टी की सरकार चुनेंगे। इस चुनाव में मुद्दे एक साल से लेकर अब तक बदलते रहे। 2022 में जहां पुराना मुद्दा टीपू सुल्तान का गूंजा। वहीं, हिजाब पर बैन को लेकर बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस में द्वंद्व चलता रहा। एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी भी हिजाब के मुद्दे को जोर शोर से उठाते रहे। आखिर में मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक गया और वहां से भी एकराय वाला फैसला नहीं हो सका। नतीजे में कर्नाटक के स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब पर बैन अभी जारी है। टीपू सुलतान और हिजाब चुनाव तारीखों के एलान के बाद मुद्दों के तौर पर पीछे छूट गए।
इसके बाद कर्नाटक में बीजेपी की सरकार में 40 फीसदी कमीशनखोरी का मुद्दा कांग्रेस ने उठाया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बीजेपी की सरकार में हर काम में भ्रष्टाचार होता है। इस मुद्दे को उठाने के लिए कांग्रेस ने ठेकेदारों की तरफ से पहले पीएम को लिखी गई चिट्ठी का हवाला दिया। बेरोजगारी और गरीबी जैसी बातें भी कांग्रेस ने मुद्दों के तौर पर उठाईं। इसके जवाब में बीजेपी ने कांग्रेस राज में इस्लामी कट्टरपंथी संगठन पीएफआई के लोगों को रिहा करने और राजीव गांधी के दौर में 85 फीसदी पैसा गुम हो जाने जैसे मुद्दे उठाकर जंग लड़नी शुरू की।
इसके बाद वो दिन आया, जब कांग्रेस के घोषणापत्र में बजरंग दल पर बैन लगाने की बात सामने आई। बस यही मुद्दा बीजेपी ले उड़ी। कांग्रेस पर ऐसे तीखे वार पीएम नरेंद्र मोदी और अन्य बीजेपी नेताओं ने किए कि विपक्षी दल के नेता वीरप्पा मोइली को मीडिया के सामने आकर कहना पड़ा कि बजरंग दल पर तो राज्य सरकार बैन लगा ही नहीं सकती। कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के नेता पी. चिदंबरम तो यहां तक बोले कि घोषणापत्र में बजरंग दल पर बैन लगाने की बात है ही नहीं। बजरंग बली के मुद्दे के अलावा बीजेपी की राज्य सरकार ने मुसलमानों को मिल रहा 4 फीसदी आरक्षण खत्म कर उसे 2-2 फीसदी में लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों में बांट दिया। इसे भी बीजेपी ने पिछड़ा वर्ग को खुश करने वाला मुद्दा बना दिया।
चुनाव प्रचार थमने तक अंतिम मुद्दा बनी संप्रभुता। कांग्रेस के ट्वीट में लिख दिया गया कि सोनिया गांधी ने कर्नाटक की संप्रभुता की रक्षा की बात कही। इसे पीएम मोदी और अन्य नेताओं ने उठाकर कांग्रेस पर टुकड़े-टुकड़े गैंग की भाषा बोलने और भारत की एकता और अखंडता के खिलाफ काम करने वाला बताया। अब 13 मई को जब चुनाव नतीजे आएंगे, तो देखने वाली बात ये रहेगी कि इन सभी मुद्दों में से किसे जनता ने महत्व दिया है।