नई दिल्ली। आंतरिक कलह का सामना कर रही कांग्रेस पार्टी अपने रूठों को मनाने में जुटी हुई है लेकिन उसके अपने ही पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को लेकर पार्टी में हलचल तेज हो गई है। दरअसल, आगामी चुनाव को लेकर आजाद जम्मू-कश्मीर में एक के बाद एक जनसभाओं में शामिल हो रहे हैं। उनके द्वारा की जा रही जनसभाओं और उसमें शामिल हो रही लोगों की संख्या कांग्रेस के लिए ये डर पैदा कर रही है कि आखिर क्या गुलाम नबी आजाद कैप्टन की राह पर तो नहीं जाने वाले। कांग्रेस के लिए ये डर इसलिए भी है कि गुलाम नबी आजाद पार्टी से असंतुष्ट ‘जी -23’ समूह का हिस्सा हैं। पार्टी प्रमुखों को अब इस बात का भी डर सता रहा है कि अगर आजाद अपनी खुद की पार्टी बना लेते हैं तो उनके सामने पहले से मौजूद चुनौतियां और बढ़ जाएगी।
बता दें, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद जम्मू-कश्मीर में एक के बाद एक जनसभाएं कर रहे हैं। इन जनसभाओं में वो अपनी ही पार्टी की आलोचना कर रहे हैं। पुंछ में एक रैली को संबोधित करते हुए आजाद ने ये साफ तौर पर कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट ही है जो कि अनुच्छेद 370 के फैसले को उलट सकता है या फिर इसके लिए कांग्रेस पार्टी को 300 से अधिक सीटों के साथ सत्ता में आना होगा। इसके आगे उन्होंने ये भी कह दिया कि 2024 में होने वाले चुनावों में कांग्रेस 300 सीटों के साथ सत्ता में आती नजर नहीं आ रही है। ऐसे में आजाद का ये बयान सोचने के लिए मजबूर कर रहा है कि शायद उनका मन अब खुद के संगठन को लेकर हैं।
ध्यान हो कि बीते कुछ समय पहले गुलाम नबी आजाद के करीबी और जम्मू-कश्मीर कांग्रेस पार्टी के लगभग 20 नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। त्याग पत्र में सभी नेताओ ने गुलाम अहमद मीर को राज्य इकाई के प्रमुख के पद से हटाने के साथ ही कांग्रेस में व्यापक बदलावों को लेकर मांग रखी थी। ऐसे में गुलाम नबी आजाद का तल्ख तेवर और उनकी जनसभाओं में जुट रह भीड़ पर्यवेक्षकों को भी चौंका दिया है।