नई दिल्ली। केंद्र सरकार पब्लिक हेल्थ में जबरदस्त काम कर रही है। सरकार इस मद में आवंटन को लगातार बढ़ाती जा रही है। सरकार ने 23220 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि इस मद में खर्च की है जो न सिर्फ ऐतिहासिक है बल्कि स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकार की प्राथमिकता की जीती जागती बानगी भी है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार का ये भारी निवेश उन लोगों के मुंह पर जोरदार तमाचा है जो राम मंदिर और सेट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में खर्च को लेकर कोहराम मचा रहे थे। खास बात यह है कि सरकार ने कोविड के लिए समर्पित अस्पतालों की संख्या में 25 गुने की बढ़ोत्तरी की है। इसके लिए विशेष तौर पर 15 हजार करोड़ रुपए इमरजेंसी हेल्थ सिस्टम्स प्रोजक्ट के लिए आवंटित किए गए। इस भारी निवेश का परिणाम कोविड स्वास्थ्य सेवाओं में भारी इजाफे के तौर पर निकला है। सरकार की इस पहल ने 7929 कोविड हेल्थ सेंटर बनाए हैं। इस दौरान 9954 ने कोविड केयर सेंटर बनाए गए हैं।आक्सीजन सपोर्ट वाले बेडों की संख्या में साढ़े सात गुनी बढ़ोत्तरी हुई है, जबकि आइसोलेशन बेडों में 42 गुनी और आईसीयू बेड़ों में 45 गुने की बढ़ोत्तरी हुई है।
तीसरी लहर के अंदेशे को देखते हुए बच्चों पर विशेष ध्यान दिया गया है। बच्चों के लिए बेडों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार की गंभीरता का ये आलम है कि 23220 करोड़ रुपए एक साल में खर्च करने के लिए आवंटित किए गए हैं। सरकार के प्रयासों के चलते कोविड हेल्प को उपलब्ध मेडिकल स्टूडेंस और नर्सिंग स्टूडेंट्स की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। इसमें इंटर्न, रेजीडेंट से लेकर फाइनल ईयर के विद्यार्थी तक शामिल हैं।
सरकार इस क्षेत्र में माइक्रो लेवल तक काम कर रही है। इसी का परिणाम है कि जिला और ब्लॉक लेवल तक आईसीयू बेड और ऑक्सीजन बेड की पर्याप्त संख्या में उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। सरकार टेस्टिंग के क्षेत्र में भी तेजी से काम कर रही है। टेस्टिंग की क्षमता, जीनोम सीक्वेंसिंग और सर्विलांस को तेजी से उन्नत किया जा रहा है। साथ ही साथ टेली कंसल्टेशन व एंबुलेंस सेवाओं के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति सुनिश्चित की जा रही है।