नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद यानी 5 अगस्त को उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत कई नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था। बीते कुछ दिनों में एक बॉन्ड पर हस्ताक्षर कराकर कई नेताओं को रिहा किया गया। यह बॉन्ड 370 के खिलाफ प्रदर्शन न करने की गारंटी थी। सरकार के इस बॉन्ड पर सिग्नेचर करने से फारूक अब्दुला, उमर अब्दुला, महबूबा मुफ्ती समेत 6 नेताओं ने मना कर दिया। इसके बाद इन पर पीएसए लगाया गया। इसके साथ ही उमर और महबूबा को उनके घर पर शिफ्ट करके नजरबंद कर दिया गया है। वहीं पीएसए लागू होने के साथ ही दोनों नेताओं को बिना ट्रायल के तीन महीने की जेल भी हो सकती है। इस सब के बीच जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) लगाए जाने का विरोध शुरू हो गया है। हालांकि, सरकार का कहना है कि 6 नेताओं ने उनके नियमों और शर्तों को मानने से इनकार कर दिया था, इसलिए उन पर पीएसए लगाया गया है।
सरकार ने पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला, आईएएस से राजनेता बने शाह फैसल, पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती, नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता अली मोहम्मद सागर और पीडीपी नेता सरताज मदनी पर पीएसए लगाया है।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के छह महीने से अधिक समय बीत चुके हैं, लेकिन कश्मीर में स्थिति सामान्य होने के बाद भी आम लोगों की जिंदगी दोबारा पटरी पर नहीं लौटी है। ब्रॉडबैंड सेवाएं और हाई स्पीड इंटरनेट अभी भी कश्मीर में बंद है।